मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पीड़ित औए संदिग्ध को मीडिया के सामने प्रस्तुत करना संविधान की धारा 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है और यह मीडिया ट्रायल को बढ़ावा देता है।
By Producing Victims & Suspects Before Media, The Police Violates Their Privacy Rights & Encourages Media Trials: Madhya Pradesh High Court https://t.co/ZpbJQKVaJ8
— Live Law (@LiveLawIndia) November 5, 2020
बीते 2 नवम्बर को एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जी एस अहलुवालिया की बेंच ने कहा कि, किसी पीड़ित या संदिग्ध को मीडिया के समक्ष प्रस्तुत करना या उसकी जानकारी मीडिया और अख़बार में लीक करना, उसकी तस्वीरें छापना भारतीय संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है।
अदालत का यह फैसला एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आया है जिसमें पूछा गया था कि क्या राज्य (सरकार) को किसी की निजता के अधिकार का उल्लंघन करने का अधिकार है?
Can State Violate Privacy Rights Of Accused By Publishing Their Photographs In Media Or Parading Them? Madhya Pradesh HC To Examine [Read Order] https://t.co/QKtCAZSVIz
— Live Law (@LiveLawIndia) October 22, 2020
गौरतलब है कि, एक व्यक्ति ने अदालत ने याचिका दायर कर कहा था कि पुलिस हिरासत में उसकी तस्वीर को सोशल मीडिया में वायरल कर समाज में उसकी छवि को बदनाम किया है।