नई दिल्ली। देश में अब जनसंख्या नियंत्रण की बात भी चल रही है और उत्तर प्रदेश इस पर आधिकारिक कदम उठाने वाला पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर प्रदेश में नई जनसंख्या नीति 2021-30 जारी की है। विपक्षी दल सरकार के इस नए कदम की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
लखनऊ में हुए कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030 का विमोचन किया। मुख्यमंत्री योगी ने विश्व जनसंख्या दिवस पर नई जनसंख्या नीति के तहत सरकार ने जन्मदर कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा है कि बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधक है ऐसे में इसे नियंत्रण करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि पिछले 4 दशकों से इसकी कई बार चर्चा होती रही है लेकिन अब इस पर ठोस कदम उठाए जाने की जरुरत है। योगी ने कहा कि जिन देशों, राज्यों ने इसके लिए प्रयास किए वहां सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में भी इसे लेकर प्रयास शुरु किये जा रहे हैं। योगी के मुताबिक बढ़ती जनसंख्या गरीबी का बड़ा कारण है।
उत्तर प्रदेश विधि आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किए गए इस जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के मसौदे के मुताबिक जिन नागरिकों के दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं होगी और न ही उन्हें किसी तरह की सब्सिडी दी जाएगी।
फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले पर अब जनता के सुझाव भी ले रही है। मंत्री मोहसिन रजा के मुताबिक जनता की राय के आधार पर मसौदे में कुछ बदलाव भी हो सकते हैं और इसके बाद ही इसे कानून बनाया जाएगा।
हालांकि इस मामले का राजनीतिक विरोध भी हो रहा है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित कई दल इसे ध्रुविकरण की राजनीति बता रहे हैं।
मसौदे की ख़ास बातें…
- दो से अधिक बच्चों के अभिभावकों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।
- स्थानीय निकाय और पंचायत का चुनाव भी नहीं लड़ सकते।
- राशन कार्ड में भी चार से अधिक सदस्यों के नाम नहीं लिखे जाएंगे।
- 21 साल से अधिक उम्र के युवक और 18 साल से अधिक उम्र की युवतियों पर एक्ट लागू होगा।
- जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया है।
- कानून लागू होने के बाद यदि किसी महिला को दूसरी प्रेग्नेंसी में जुड़वा बच्चे होते हैं, तो वह कानून के दायरे में नहीं आएंगी।
- तीसरे बच्चे को गोद लेने पर रोक नहीं रहेगी। यदि किसी के 2 बच्चे नि:शक्त हैं तो उसे तीसरी संतान होने पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा।
- सरकारी कर्मचारियों को शपथ पत्र देना होगा कि वे इस कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे।