नई दिल्ली में 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज फहराया। यह उनका 11वां स्वतंत्रता दिवस भाषण था, जिसमें उन्होंने देशवासियों को संबोधित किया और सरकार की नीतियों और भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर पेरिस ओलंपिक के भारतीय दल, अटल इनोवेशन मिशन के लाभार्थी छात्र, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कर्मचारी, और देशभर के सरपंचों समेत लगभग 6,000 विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के मुख्य अंश:
1. महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर सख्ती:
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इन अपराधों की सख्त सज़ा का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए ताकि समाज में ऐसे कृत्य करने वालों में डर का माहौल बने और अपराधियों को कड़ी सजा मिल सके। उन्होंने समाज से भी आग्रह किया कि इस गंभीर मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और माताओं, बहनों और बेटियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग इस तरह के जघन्य अपराध करते हैं, उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए ताकि समाज में एक सख्त संदेश जाए और ऐसा करने से ही महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी आ सकती है।
2. 2036 ओलंपिक की मेजबानी का सपना:
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में भारत के सपने का जिक्र किया जिसमें 2036 में ओलंपिक की मेजबानी करने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि भारत इस दिशा में तैयारी कर रहा है और यह देश का बड़ा लक्ष्य है। इसके साथ ही उन्होंने उन युवाओं की सराहना की जिन्होंने हाल ही में ओलंपिक में देश का नाम रोशन किया है। इसके अलावा, उन्होंने पेरिस में होने वाले पैरालंपिक के लिए भारतीय दल को शुभकामनाएं दीं।
3. वैश्विक निवेश के लिए अवसर:
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत में निवेश करने के लिए दुनिया भर की कई कंपनियां इच्छुक हैं। उन्होंने राज्य सरकारों को निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नीतियां बनाने की सलाह दी और कहा कि यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वह वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बने। प्रधानमंत्री ने ‘वोकल फॉर लोकल’ को देश की आर्थिक विकास की रीढ़ बताया और कहा कि यह पहल भारत के अर्थतंत्र को नई गति दे रही है।
4. बांग्लादेश के साथ संबंध:
अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों में शांति और स्थिरता की कामना करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है और पड़ोसी देशों के विकास में अपनी भागीदारी निभाने को तैयार है।
5. चिकित्सा शिक्षा में सुधार:
प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में देश में 75,000 नए मेडिकल सीटों का सृजन किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आज भी कई छात्र विदेश जाकर चिकित्सा शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में मेडिकल सीटों की संख्या में भारी वृद्धि की गई है और सरकार इस दिशा में निरंतर काम कर रही है ताकि छात्रों को विदेश जाने की आवश्यकता न पड़े।
6. अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार:
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में अंतरिक्ष क्षेत्र में हो रहे सुधारों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अब पहले से कहीं अधिक विकसित और सक्षम हो चुका है। सरकार द्वारा किए गए सुधारों की वजह से यह क्षेत्र आज वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। उन्होंने बताया कि अब देश में सैकड़ों स्टार्टअप्स अंतरिक्ष क्षेत्र में काम कर रहे हैं और यह क्षेत्र भारत की ताकत का अहम हिस्सा बन चुका है।
7. नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयास:
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अन्य G20 देशों से अधिक प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से काम कर रहा है और जलवायु परिवर्तन की वैश्विक समस्या से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन क्षमता हासिल करना है।
8. प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता:
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में प्राकृतिक आपदाओं को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण लोगों की चिंताएं बढ़ी हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में आई बाढ़ और भूस्खलन का जिक्र किया और कहा कि सरकार इन आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
सुरक्षा और इंतज़ाम
प्रधानमंत्री के भाषण के बाद, राष्ट्रीय गान के साथ समारोह का समापन हुआ और लाल किले में आगे के कार्यक्रम शुरू हुए। इस अवसर पर देशभर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। दिल्ली में 10,000 से अधिक पुलिसकर्मियों के साथ AI-आधारित कैमरों का भी इस्तेमाल किया गया, वहीं छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के 13 गांवों में पहली बार तिरंगा फहराया गया।