
पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई सोमवार को टल गई। इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र की याचिका पर न्यायमूर्ति बीआर गवई के अवकाश पर होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। याचिकाकर्ता ने शीघ्र सुनवाई के लिए आवेदन दिया है, जिस पर मंगलवार को विचार किया जाएगा। यदि मंगलवार को भी सुनवाई नहीं हुई तो 27 फरवरी से जहरीला कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दी थी अनुमति
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने की अनुमति दी थी। इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। चिन्मय मिश्र का कहना है कि यदि इस प्रक्रिया को रोकने के लिए मंगलवार को सुनवाई नहीं हुई, तो 27 फरवरी से यह कचरा जलाया जाने लगेगा और याचिका का कोई औचित्य नहीं रहेगा।
चार-पांच गांवों पर मंडरा रहा खतरा
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बताया गया कि पीथमपुर के जिस स्थान पर 337 टन जहरीला कचरा जलाने की योजना बनाई गई है, वहां से एक किलोमीटर के दायरे में चार से पांच गांव बसे हुए हैं। इससे वहां रहने वाले हजारों लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, गंभीर नदी भी इस औद्योगिक क्षेत्र के पास से बहती है और यह जल यशवंत सागर बांध तक पहुंचता है, जिससे व्यापक स्तर पर प्रदूषण का खतरा है।
कैसे होगा ट्रायल रन?
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेशानुसार, 27 फरवरी से पहले चरण में 10 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जलाया जाएगा। इसके बाद 4 मार्च और 10 मार्च को 10-10 मीट्रिक टन कचरे का ट्रायल रन किया जाएगा। कुल 30 मीट्रिक टन कचरे के निस्तारण के बाद इसकी रिपोर्ट 27 मार्च को हाईकोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी। यदि ट्रायल रन के दौरान किसी भी प्रकार की असुरक्षा या समस्या सामने आती है, तो सरकार हाईकोर्ट में हस्तक्षेप की मांग कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला अहम
पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बेहद महत्वपूर्ण रहेगा। यदि मंगलवार को सुनवाई होती है, तो इस पूरे मामले में नया मोड़ आ सकता है। अन्यथा, 27 फरवरी से यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिससे हजारों लोगों की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगेगा।