सुप्रीम कोर्ट में आज होगा अहम फैसला, पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलेगा या लगेगी रोक


यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर में जलेगा या नहीं। सुप्रीम कोर्ट आज करेगा फैसला।


आशीष यादव
बड़ी बात Published On :

भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े यूनियन कार्बाइड (यूका) के जहरीले कचरे के निपटान मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में निर्णायक सुनवाई होगी। मामले को अदालत ने सूची में पहले नंबर पर रखा है, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि सुबह करीब 11:30 बजे तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि कचरा पीथमपुर स्थित रामकी संयंत्र में जलाया जाएगा या सुप्रीम कोर्ट इस पर रोक लगाएगा।

मामला पर्यावरण और जनस्वास्थ्य से जुड़ा होने की वजह से पूरे इलाके की निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं। प्रशासन इस जहरीले कचरे को रामकी एनवायरो इंजीनियर्स लिमिटेड के संयंत्र में जलाने की तैयारी कर चुका है, लेकिन स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता और आम नागरिक इसका जमकर विरोध कर रहे हैं।

 

क्या है मामला?

करीब चार दशक पहले भोपाल में हुए गैस हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जमा हुआ था। इस कचरे के निपटान के लिए राज्य सरकार ने धार जिले के पीथमपुर स्थित रामकी संयंत्र को चुना था। प्रशासन का तर्क है कि इस कचरे का शीघ्र निपटान बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय खतरा बना हुआ है।

क्यों हो रहा है विरोध?

स्थानीय संगठन और विशेषज्ञ मानते हैं कि इस जहरीले कचरे को जलाने से बड़ी मात्रा में टॉक्सिक गैसें निकलेंगी। इनसे न केवल पीथमपुर बल्कि आसपास के शहरों की हवा जहरीली हो सकती है। इंदौर की पानी आपूर्ति करने वाले यशवंत सागर डैम का पानी भी दूषित होने की आशंका जताई गई है। इसी कारण पिछले कुछ महीनों से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

 

हाईकोर्ट के आदेश पर भी उठे सवाल

इस मामले में राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगे हैं। पीथमपुर बचाओ समिति के पदाधिकारियों संदीप रघुवंशी और डॉक्टर हेमंत हीरोले ने कहा है कि प्रशासन ने झूठे पत्रों के आधार पर हाईकोर्ट से कचरा जलाने की ट्रायल की अनुमति ली थी। इस मामले में नौ स्थानीय लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे देकर बताया कि हाईकोर्ट में पेश किए गए उनके कथित हस्ताक्षर फर्जी थे।

सुप्रीम कोर्ट पहले ही हाईकोर्ट के रवैये पर आपत्ति जता चुका है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब हाईकोर्ट को इसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए थी।

दो संभावनाएं—फैसला क्या होगा?

अगर अनुमति मिली: तो प्रशासन तीन चरणों में कचरे को जलाने का ट्रायल करेगा और 27 मार्च तक रिपोर्ट पेश करेगा।

अगर रोक लगी तो सरकार को इस मुद्दे पर फिर से सोच-विचार करना होगा और अन्य विकल्प तलाशने होंगे।

स्थानीय निवासी और प्रशासन दोनों की ही नजरें अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। यह फैसला पर्यावरण संरक्षण और जनस्वास्थ्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।

 


Related





Exit mobile version