धार जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी से निकले 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे के निष्पादन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इसे 1200 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जलाने के लिए रामकी कंपनी में लाया गया है। इस निर्णय से स्थानीय जनता, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों में रोष व्याप्त है। इस मुद्दे पर व्यापक प्रदर्शन, रैलियां और धरने आयोजित किए जा रहे हैं। पीथमपुर में आज पूर्ण बंद का आह्वान किया गया है, जिसमें व्यापारिक संगठनों और नागरिकों का पूरा समर्थन है।
कचरे के खिलाफ उग्र प्रदर्शन
गुरुवार सुबह चार बजे कचरे से भरे 12 कंटेनरों को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रामकी कंपनी लाया गया। इसके बाद से क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल है। पीथमपुर बचाओ समिति और रक्षा मंच के बैनर तले हजारों लोगों ने महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर प्रदर्शन किया। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि यह कचरा क्षेत्रीय पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। उनका कहना है कि इसके जलाने से निकलने वाली गैसें हवा, मिट्टी और पानी को विषाक्त कर देंगी, जिससे कैंसर और चर्म रोग जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ेगा।
राजनीतिक दलों की भूमिका
कचरे के निष्पादन के मुद्दे पर राजनीति भी गर्म हो चुकी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे पूरे प्रदेश के पर्यावरणीय सुरक्षा का मामला बताते हुए कहा कि सरकार उद्योगपतियों के दबाव में जनता की अनदेखी कर रही है। पटवारी ने इस मुद्दे पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से भी मुलाकात की। उन्होंने सरकार से वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर गारंटी की मांग की कि कचरे के निष्पादन से कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।
सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार और युवा नेता संदीप रघुवंशी आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि सरकार अपनी जनता की जान जोखिम में डाल रही है। विधायक ने सुझाव दिया कि इस कचरे को अमेरिका जैसे देशों में नष्ट किया जाना चाहिए, न कि भारत में। जयस के पदाधिकारी भी इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
दिल्ली तक पहुंचा विरोध
पीथमपुर बचाओ समिति ने जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करते हुए स्पष्ट किया कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वे संसद का घेराव करेंगे। समिति के अध्यक्ष डॉ. हेमंत हिंडोले ने चेतावनी देते हुए कहा कि कचरे के जलाने से निकलने वाली जहरीली गैसें न केवल स्थानीय पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगी, बल्कि यहां के निवासियों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेंगी। उन्होंने इसे जनविरोधी कदम करार दिया।
सरकार का पक्ष
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनता को आश्वस्त करते हुए कहा कि कचरे का निष्पादन सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की निगरानी में यह कार्य सावधानीपूर्वक किया जाएगा। डॉ. यादव ने बताया कि परीक्षणों से यह स्पष्ट हुआ है कि कचरे का विषैला प्रभाव काफी हद तक कम हो चुका है। इसके बावजूद जनता की चिंताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
जनता की प्रमुख मांगें
- जहरीले कचरे को तुरंत पीथमपुर से हटाया जाए।
- निष्पादन प्रक्रिया में जनता और विशेषज्ञों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
- अन्यत्र कचरे के निपटान की सुरक्षित व्यवस्था की जाए।
2015 का संदर्भ और जनता की आशंकाएं
2015 में भी पीथमपुर के इसी भस्मक में यूनियन कार्बाइड का 10 टन कचरा जलाया गया था। तब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे सुरक्षित बताया था। लेकिन इस बार बड़ी मात्रा में कचरे के आने से जनता की आशंकाएं बढ़ गई हैं। स्थानीय निवासी कहते हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में कचरा जलाने से उनके जीवन और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
बढ़ रहा विरोध
आज के बंद के दौरान स्कूल, उद्योग और व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद हैं। प्रदर्शनकारी शहर के विभिन्न हिस्सों में सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। उन्होंने क्षेत्रीय विधायक और सांसद को भी कठघरे में खड़ा किया है। युवाओं का कहना है कि वे इस कचरे को जलाने की अनुमति नहीं देंगे, चाहे इसके लिए उन्हें कितने भी संघर्ष करने पड़ें।
समस्या की जटिलता और समाधान की उम्मीदें
भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी इसका दंश झेल रहे लोगों के लिए यह कचरा नया संकट बन गया है। जनता का कहना है कि सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निष्पादन प्रक्रिया सुरक्षित हो। विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि यह कचरा बिना पर्याप्त सुरक्षा उपायों के जलाया गया, तो इसका दुष्प्रभाव लंबे समय तक रहेगा।
अगले कदम पर नजरें
अब यह देखना होगा कि सरकार जनता की मांगों को कैसे पूरा करती है और इस गंभीर संकट का समाधान कैसे निकाला जाता है। स्थानीय लोगों की एकजुटता और राजनीतिक दलों के समर्थन ने इस आंदोलन को और तेज कर दिया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कोई बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।