नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा नगर पालिका द्वारा पतंजलि फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (पूर्व में रुचि सोया प्लांट) का संपत्ति कर 67 लाख 99 हजार से घटाकर 9 लाख 61 हजार कर दिए जाने का मामला तूल पकड़ रहा है। इस मामले के खुलासे के बाद नगर पालिका परिषद के कई पार्षदों ने इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए कलेक्टर से निष्पक्ष जांच की मांग की है। पार्षदों का कहना है कि इस निर्णय से नगर पालिका को भारी राजस्व हानि हुई है और यह एक गंभीर अनियमितता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
गाडरवारा में स्थित पतंजलि फूड्स प्रा. लि. एक बड़ी औद्योगिक संपत्ति है, जिसका पूर्व नाम रुचि सोया था। नगर पालिका ने वर्ष 2014-15 में इस संपत्ति का कर 67 लाख 99 हजार 64 रुपए निर्धारित किया था, जो कि एक औद्योगिक संपत्ति के हिसाब से सही था। लेकिन, अधिकारियों की ओर से वर्ष 2019-20 से कर वसूली शुरू की गई, जिससे कंपनी को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ पहुंचा। सबसे बड़ा खेल तब हुआ, जब इस औद्योगिक संपत्ति को आवासीय संपत्ति के रूप में दिखाकर कर को भारी मात्रा में कम कर दिया गया।
यह कर 67 लाख 99 हजार से घटाकर केवल 9 लाख 61 हजार 655 रुपए कर दिया गया। पार्षदों का आरोप है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी और इसका उद्देश्य पतंजलि फूड्स प्रा. लि. को सीधा फायदा पहुंचाना था।
कर वसूली में अनियमितता
पार्षदों का कहना है कि नगर पालिका को 2014-15 से ही संपत्ति कर वसूली शुरू करनी चाहिए थी, लेकिन जानबूझकर इसे 2019-20 से शुरू किया गया, ताकि कंपनी को आर्थिक लाभ हो। साथ ही, औद्योगिक प्रयोजन की इस संपत्ति को आवासीय प्रयोजन के तहत प्रदर्शित करके संपत्ति कर में भारी कटौती की गई। यह पूरी प्रक्रिया नगर पालिका अधिकारियों की मिलीभगत को दर्शाती है।
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब नगर पालिका की बैठक में इसे बिना पार्षदों की संज्ञान में लाए संकल्प पंजी में शामिल कर दिया गया। जब पार्षदों को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। कांग्रेस नेता जिनेश जैन, राहुल राय, शुभ जैन, सीता चौकसे, शिल्पी साहू सहित कई पार्षदों ने इस पर विरोध जताते हुए नरसिंहपुर में कलेक्टर शीतला पटले से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में मांग
पार्षदों ने ज्ञापन में मांग की है कि इस मामले की पूरी जांच की जाए और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो। उनका कहना है कि नगर पालिका ने जानबूझकर कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए संपत्ति कर में अनियमितता की है, जिससे नगर पालिका को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। पार्षदों का कहना है कि इस तरह की अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
इस मामले में नगर पालिका अधिकारियों की भूमिका पर सीधे तौर पर सवाल उठ रहे हैं। पार्षदों का आरोप है कि अधिकारियों ने पतंजलि फूड्स प्रा. लि. को कर में राहत देने के लिए नियमों की अनदेखी की है। पार्षदों का कहना है कि यह मामला केवल वित्तीय अनियमितता का नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा करता है।
कलेक्टर की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब सभी की नजरें कलेक्टर शीतला पटले पर टिकी हैं, जो इस मामले की जांच करेंगे। पार्षदों को उम्मीद है कि कलेक्टर निष्पक्ष जांच कर मामले की सच्चाई सामने लाएंगे। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या नगर पालिका की इस कथित अनियमितता पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।
इस मामले में मुख्य नगर पालिका अधिकारी वैभव कुमार देशमुख का कहना है कि मुझे इस मामले में जानकारी नहीं है। मुझे यह जरूर पता है कि कुछ पार्षदों ने कलेक्टर महोदय को ज्ञापन दिया है। संभवतः यह कोई पुराना मामला है जिसकी मुझे पूरी जानकारी नहीं है।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया और स्थानीय जनता
इस मामले के सामने आने के बाद स्थानीय जनता और व्यापारी समुदाय में भी नाराजगी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि अगर इस तरह की अनियमितताएं लगातार होती रहीं, तो नगर पालिका की वित्तीय स्थिति और अधिक खराब हो सकती है। व्यापारिक संगठनों ने भी पार्षदों के विरोध का समर्थन किया है और मांग की है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
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