भोपाल। भारत सरकार के प्रोजेक्ट चीता को एक और झटका लगा है। मंगलवार को कूनो नेशनल पार्क में तीसरे चीते की मौत हो गई है। दो महीने में यह तीसरे चीते की मौत है। यह एक मादा चीता है जिसका नाम दक्षा है।
जानकारी के मुताबिक मृत चीते के शरीर पर कई घाव हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस चीते की मौत आपसी संघर्ष में घायल होने के बाद हुई है।
बीते दिनों चीतों की मौत के बाद से ही कूनो पार्क के प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं और एक नई मौत ने इस सवालों को और बल दिया है और सरकार के प्रयासों को भी कमतर बताया है।
हालांकि एक दिन पहले ही केंद्रीय वन मंत्रालय की ओर से बयान आया था कि दक्षिण अफ्रीका से कूनो बसाए गए सभी चीते स्वस्थ हैं। इनमें से पांच को जल्द ही खुली जगह में छोड़ा जाएगा। शेष को भी आने वाले समय में खुल में विचरण करने छोड़ दिया जाएगा।
दक्षा की मौत से पहले कूनो पार्क के बाड़े में उदय और साशा चीता की मौत हो चुकी है। बताया जाता है कि दक्षा की मौत आपसी संघर्ष के दौरान हुई है और संभवतः यह झड़प मेटिंग के दौरान हुई है।
घायल अवस्था में मिले चीता का पार्क के चिकित्सकों ने इलाज किया, लेकिन दोपहर 12 बजे उसके मौत हो गई। दक्षा चीता बाड़ा क्रमांक एक में छोड़ी गई थी।
30 अप्रैल को हुई बैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के महानिरीक्षक डॉ. अमित मल्लिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान के डॉ. कमर कुरैशी, दक्षिण अफ्रीका से आए प्रो. एड्रियन टोर्डिफ तथा दक्षिण अफ्रीका के चीता मेटा पापुलेशन इनिशियटिव के विन्सेंट वेन डर मार्व उपस्थित थे।
इस बैठक में बाड़ा क्रमांक सात में मौजूद दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीता मेल कोयलिशन अग्नि तथा वायु को मादा चीता दक्षा के साथ मिलाने का निर्णय लिया गया।
बाड़ा क्रमांक सात और एक के बीच का गेट एक मई को खोल दिया गया। चीता मेल कोयलिशन छह मई को बाड़े में दाखिल हुआ।