मप्र में नहीं होंगी नर्सिंग की परीक्षाएं, हाईकोर्ट की रोक बरकरार


हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच में बहस, अगली सुनवाई 12 मई को


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बड़ी बात Updated On :

भोपाल। नर्सिंग काउंसिल द्वारा फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने के चलते प्रदेश में नर्सिंग की परीक्षाएं बीते तीन साल से नहीं हो सकी हैं। ऐसे में अब  सीबीआई फिर नर्सिंग घोटाले की जांच करेगी। प्रदेश में नर्सिंग परीक्षाओं को लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच में शुक्रवार को सुनवाई हुई और नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। इसके बाद सीबीआई को अब 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच करनी होगी हालांकि एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है। मामले की अगली सुनवाई 12 मई को होनी है। अब तक नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक बनी रहेगी। ऐसे में नर्सिंग विद्यार्थियों को खासी परेशानी हो रही है क्योंकि वे तीन साल से एक ही कक्षा में बने हुए हैं।

हाईकोर्ट ने सीबीआई को साल 2020 से कॉलेजों के मापदंड की जांच करने के लिए कहा है। दरअसल पहले 24 कालेजों की जांच की गई थी जिनमें से 11 कॉलेजों में  किसी न किसी स्तर पर मापदंड संबंधी अनियमिताएं पाई गईं थी। इस मामले में हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल को भी पक्षकार बनाया था।  उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने 27 फरवरी 2023 को नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक लगाई थी। इसके तहत बीएससी नर्सिंग, बीएससी पोस्ट बेसिक और एमएससी नर्सिंग की परीक्षाएं रुक गईं थीं। जबकि इससे पहले मेडिकल यूनिवर्सिटी ने नोटिफिकेशन जारी कर सत्र 2019-21 के छात्रों को परीक्षा की अनुमति दी थी।

 

नर्सिंग घोटाले के सामने आने से विद्यार्थियों को खासी परेशानी हो रही है। वे तीन साल से पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन एक ही क्लास में हैं। जबलपुर के एक नर्सिंग विद्यार्थी विजय सिंह के मुताबिक उन्होंने फर्स्ट ईयर में 2020 में एडमिशन लिया था लेकिन अब तक वे उसी क्लास में हैं। ऐसे में मानसिक रुप से खासे परेशान हो चुके हैं। विद्यार्थी कहते हैं कि काउंसिल ने फर्जी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दी और उनका भविष्य खतरे में पड़ गया। इन विद्यार्थियों की मांग है कि उनके भविष्य को बचाने के लिए कदम उठाए जाएं वे कहते हैं कि मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय अब परीक्षा तो ले नहीं सकती और तो नर्सिंग विद्यार्थियों के अंदरुनी मूल्यांकन जारी हैं और उनके आधार पर उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट किया जाना चाहिए ताकि उनके साल बच सकें।

हालांकि नर्सिंग परीक्षाओं पर लगी रोक हटाने को लेकर हाईकोर्ट ने पिछले दिनों एक  गंभीर टिप्पणी की थी कोर्ट ने कहा था। जिन्हें नर्सिंग का न भी नहीं आता उन्हें भी अनुमति मिली हुई है। मप्र नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने इसे लेकर कोर्ट के सामने कई दलीलें दीं लेकिन कोर्ट ने कोई बात नहीं रखी। इससे पहले कोर्ट ने सरकार पर टिप्पणी की थी कि राज्य सरकार के रवैए को लेकर कहा कि कोर्ट को इस बात की हैरानी है कि आखिर कैसे लोग सरकार चला रहे हैं। दरअसल यह टिप्पणी बैकडेट में एमपी साइंस यूनिवर्सिटी के द्वारा कॉलेजों को मान्यता देने को लेकर की थी। कोर्ट ने पूछा था कि अगर इन कॉलेजों को मान्यता दे दी गई तो सीबीआई की जांच का क्या होगा और क्या इन दोनों ही चीजों का एक साथ चलना संभव है?

 


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