नई दिल्ली। अलगाववादी नेता यासीन मलिक को पटियाला हाउस कोर्ट में टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यासीन को एनआईए कोर्ट पहले ही दोषी करार दे चुका था।
एडवोकेट उमेश शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि यासीन को दो मामलों में उम्रकैद, 10 मामलों में 10 साल की जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
यासीन मलिक पर पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर में आतंकी घटनाओं के लिए फंडिंग करने और आतंकियों को तबाही का सामान मुहैया कराने के केस दर्ज थे।
#WATCH | Terror funding case: Yasin Malik being taken out of NIA Court in Delhi. He will be taken to Tihar Jail shortly.
He has been awarded life imprisonment in the matter. pic.twitter.com/bCq5oo47Is
— ANI (@ANI) May 25, 2022
दो मामलों में उम्रकैद और 10 लाख का जुर्माना भी –
- IPC की धारा 120 बी के तहत 10 साल, 10 हजार जुर्माना
- IPC की धारा 121 के तहत उम्रकैद, 10 हजार जुर्माना
- IPC की धारा 121 ए के तहत 10 साल की सजा 10 हजार जुर्माना
- UAPA की धारा 13 के तहत 5 साल की सजा, 5 हजार जुर्माना
- UAPA की धारा 15 के तहत 10 साल की सजा, 10 हजार जुर्माना
- UAPA की धारा 17 के तहत उम्रकैद और 10 लाख जुर्माना
- APA की धारा 18 के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार जुर्माना
- UAPA की धारा 20 के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार जुर्माना
- UAPA की धारा 38 और 39 के तहत 5 साल 5 हजार जुर्माना
सजा सुनने के बाद यासीन मलिक ने अपने वकील एपी सिंह को गले लगाया। सजा से पहले पटियाला हाउस कोर्ट की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। वहीं, श्रीनगर के कई बाजार बंद हो गए और वहां भारी फोर्स तैनात है। सुरक्षा के लिहाज से श्रीनगर और आसपास के इलाकों में मोबाइल और इंटरनेट सर्विस बैन कर दी गई है।
इससे पहले, बुधवार को मलिक की सजा पर बहस हुई। एनआईए ने यासीन के लिए फांसी की मांग की है, वहीं यासीन के वकील उसके लिए उम्रकैद चाहते हैं। 19 मई की सुनवाई के दौरान यासीन अपने गुनाह कबूल कर चुका है।
कोर्ट में एनआईए के स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने कहा कि एनालिसिस से पता चलता है कि गवाहों के बयान और सुबूतों से लगभग सभी आरोपियों का एक-दूसरे से संपर्क और पाकिस्तानी फंडिंग साबित हुई है।
बुधवार को फैसला आने से पहले कोर्ट पहुंचे यासीन ने कहा, ‘अगर मैं 28 साल के दौरान किसी आतंकवादी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं और खुफिया एजेंसियां यह साबित करती हैं, तो मैं भी राजनीति से संन्यास ले लूंगा। मुझे फांसी मंजूर होगी। मैंने सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। मैं अपने लिए कुछ भी नहीं मांगूंगा। मैं अपनी किस्मत का फैसला अदालत पर छोड़ता हूं।’
दोषी करार होने के बाद मलिक ने कोर्ट में कहा था कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता। मलिक 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में केद है।