अब अऋणी किसान भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं। 2023 में बीमा कवरेज बढ़कर 5.98 लाख हेक्टेयर हो गया है, और 3.97 करोड़ किसान इस योजना के तहत आए हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य सभा में बताया कि योजना के तीन प्रमुख मॉडल हैं। अगर बीमा कंपनियां किसानों के क्लेम में देरी करती हैं, तो उन्हें 12 प्रतिशत पेनल्टी का सामना करना पड़ेगा, जो सीधे किसान के खाते में जाएगी। इस सुधार का उद्देश्य क्लेम भुगतान में देरी को रोकना है, जो अक्सर राज्य सरकारों द्वारा प्रीमियम सब्सिडी में देरी के कारण होता है।
चौहान ने राज्य सरकारों से समय पर प्रीमियम सब्सिडी जारी करने की अपील की और बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के शेयर को डी-लिंक कर दिया है, जिससे केंद्रीय राशि समय पर किसानों को मिल सके।
चौहान ने आगे कहा कि पूर्ववर्ती योजनाओं में प्रीमियम की अधिकता और दावों के निपटान में विलंब जैसी समस्याएं थीं। नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार किए गए हैं, जिससे आवेदन की संख्या 3.51 करोड़ से बढ़कर 8.69 करोड़ हो गई है।
कांग्रेस सरकार के दौरान अऋणी किसानों के 20 लाख आवेदन थे, जो अब 5.48 करोड़ हो गए हैं। कांग्रेस सरकार में कुल किसान आवेदन 3.71 करोड़ थे, जो अब 14.17 करोड़ हो गए हैं। किसानों ने 32,440 करोड़ रुपये प्रीमियम दिया, जबकि उन्हें 1.64 लाख करोड़ रुपये क्लेम के रूप में मिले।
अब बीमा की प्रक्रिया अधिक लचीली है; किसान की इच्छा पर निर्भर है कि वे बीमा कराएं या नहीं। मौजूदा सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि बीमा अनिवार्य नहीं है और राज्य सरकारें अपने अनुसार मॉडल चुन सकती हैं। बिहार में भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू नहीं है, क्योंकि वहां की अपनी योजना है।