नई दिल्ली। मोदी सरकार के राज के दौरान संसदीय व्यवस्था में एक और परिवर्तन हुआ है। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी नए नियमों के मुताबिक लोकसभा और राज्यसभा में सदन की कार्रवाई के दौरान बहुत से शब्दों का इस्तेमाल करना वर्जित होगा या उन्हें असंसदीय कहा जाएगा।
इसमें वे शब्द संसदीय कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाए जाएंगे। इनमें से बहुत से शब्द ऐसे हैं जिनका इस्तेमाल विपक्ष इन दिनों मोदी सरकार के खिलाफ अपने भाषणों में कर रहा है। तो वहीं ज्यादातर शब्द ऐसे भी हैं जिनका इस्तेमाल भारतीय जनता पार्टी के सांसद लगभग हमेशा ही करते रहे हैं।
सचिवालय के इस कदम के बाद विपक्षी सांसदों ने इसकी तीखी आलोचना की है और कहा है कि अब सरकार के खिलाफ बोले जाने वाले शब्दों तक पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।
लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 के नाम से ऐसे शब्दों और वाक्यों की सूची तैयार की है। यह सूची सभी सांसदों को भेज दी गई है और उन्हें ताकीद की गई है कि वे इन शब्दों का इस्तेमाल ना करें।
सरकार द्वारा बनाए गए इन नए नियमों के मुताबिक गद्दार, घड़ियाली आंसू, जयचंद, शकुनी, भ्रष्ट जैसे कई शब्दों और मुहावरों पर रोक लगा दी गई है।
जिन शब्दों पर रोक लगा दी गई है उनमें शामिल हैं… जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, ‘कोविड स्प्रेडर’ और ‘स्नूपगेट’ जैसे शब्दों का प्रयोग और यहां तक कि ‘शर्मिंदा’, ‘दुर्व्यवहार’, ‘विश्वासघात’, ‘भ्रष्ट’, ‘नाटक’, ‘पाखंड’ और ‘अक्षम’ जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
वहीं सचिवालय द्वारा असंसदीय के रूप में सूचीबद्ध कुछ अंग्रेजी शब्दों में ‘रक्तपात’, ‘खूनी’, ‘विश्वासघात’, ‘शर्मिंदा’, ‘दुर्व्यवहार’, ‘धोखा’, ‘चमचा’, ‘चमचागिरी’, ‘चेला’, ‘बचकानापन’ शामिल हैं। ‘, ‘भ्रष्ट’, ‘कायर’, ‘अपराधी’ और ‘मगरमच्छ के आँसू’।
इन शब्दों के अलावा भी कई दूसरे शब्दों पर सचिवालय द्वारा रोक लगाई गई है।
हालांकि मनाही के बावजूद बहुत से सांसदों ने यह कहा है कि वे इन शब्दों का इस्तेमाल बंद नहीं करेंगे चाहे संसद से उन्हें भले ही निलंबित क्यों न कर दिया जाए।
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करूंगा, आप मुझे निलंबित कर दीजिए। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘कुछ ही दिनों में संसद का सत्र शुरू होने वाला है। सांसदों पर पाबंदी लगाने वाला आदेश जारी किया गया है।
अब हमें संसद में भाषण देते समय इन बुनियादी शब्दों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। शर्म आनी चाहिए, दुर्व्यवहार किया, धोखा दिया, भ्रष्ट, पाखंड, अक्षम। मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करूंगा। मुझे निलंबित कर दीजिए। लोकतंत्र के लिए लड़ाई लडूंगा।’
Session begins in a few days
GAG ORDER ISSUED ON MPs.
Now, we will not be allowed to use these basic words while delivering a speech in #Parliament : Ashamed. Abused. Betrayed. Corrupt. Hypocrisy. Incompetent
I will use all these words. Suspend me. Fighting for democracy https://t.co/ucBD0MIG16
— Derek O’Brien | ডেরেক ও’ব্রায়েন (@derekobrienmp) July 14, 2022
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी इस नियम की कड़ी आलोचना की है उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘मोदी सरकार की असलियत बताने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्दों को अब ‘असंसदीय’ माना जाएगा। अब आगे क्या विषगुरु?’
मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे।
अब आगे क्या विषगुरु? pic.twitter.com/FeMagK67qR
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 14, 2022
लोकसभा में कामकाज की प्रक्रिया एवं आचार के नियम 380 के मुताबिक, ‘अगर अध्यक्ष को लगता है कि चर्चा के दौरान अपमानजनक या असंसदीय या अभद्र या असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, तो वे सदन की कार्यवाही से उन्हें हटाने का आदेश दे सकते हैं।’