लंबे समय से चल रही भारतीय दंड सहिता में अब बदलाव हो गया है। नया बदलाव आज से देश भर लागू होगा इसमें तीन नए कानून लागू हो जायेगे। भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता कि जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 तथा साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो जाएंगे।
ब्रिटिश काल से चले आ रहे ये पुराने तीनों कानून इतिहास बनकर रह जाएंगे। एडवोकेट नवनीत जैन ने बताया कि विगत 25 दिसंबर 2023 को संसद के दोनों सदनों में पारित तीनों कानून पर देश की महामहिम राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिसके पश्चात केंद्र सरकार द्वारा एक जुलाई 2024 को नए कानूनों को लागू करने की अधिसूचना जारी की थी।
अग्रेजों के समय से चल रहा है यह कानून: नए कानून को लाने का उद्देश्य अंग्रेजों के समय से चले आ रहे पुराने नियम कायदों को हटाकर नए नियमों की स्थापना करना है। नए कानून लागू हो जाने से क्रिमिनल लॉ सिस्टम में बहुत कुछ बदल जाएगा। नए कानून में प्रथम सूचना रिपोर्ट से लेकर आरोपी की गिरफ्तारी जैसे बहुत कुछ बदलाव किए गए हैं। नए कानूनों में न्यायालय में प्रकरण के विचारण से लेकर निराकरण तथा आरोपी कि सजा को लेकर अनेक परिवर्तन किए गए है। एडवोकेट जैन ने विस्तार से बताया कि भारतीय न्याय संहिता 2023 में कुल 358 धाराएं सम्मिलित की गई है। जिसमें 20 नए अपराधों को परिभाषित किया गया है, पूर्व कानून में कुल 511 धाराएं थी। इसी प्रकार दंड प्रक्रिया संहिता की 484 धाराओं कि अपेक्षा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में 531 धाराएं सम्मिलित है।
नए कानून में सजा के सख्त रहेंगे प्रावधान: नए कानून में सजा के सख्त प्रावधान रहेंगे। नए कानून के अनुसार कोई पीड़ित अपराध घटित होने पर वह देश में कहीं पर भी जीरो पर संबंधित अपराध कि धाराओं सहित एफ.आई.आर. दर्ज करवा सकता है, पूर्व में जीरो पर एफआई आर में धारा जोड़ने कि व्यवस्था नहीं थी।
किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के मामले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 43(3) में कैदी को हथकड़ी लगाकर न्यायालय में पेश करने का प्रावधान किया गया है। पूर्व कानून में हथकड़ी लगाने की अनुमति मजिस्ट्रेट से लेना अनिवार्य थी। नए कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा भगोड़ा घोषित करने पर अब उसके प्रकरण का विचारण नही रुकेगा। आरोपी 90 दिन बाद भी न्यायालय में पेश नहीं होता है, तो न्यायालय यह मान लेगा की आरोपी ने अपनी निष्पक्ष सुनवाई का अपना अधिकार छोड़ दिया है। नए कानून में किसी केस का फैसला अधिकतम तीन साल में करना अनिवार्य किया गया है।
पुलिस विभाग का बड़ा: नए कानून में पुलिस विभाग की जवाबदारी बढ़ गई हैं। नए कानून में सात साल या उससे अधिक सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक जांच को अनिवार्य किया गया है। नए कानून में पुलिस विभाग की जवाब देही बड़ा दी गई है। अब प्रत्येक थाने पर एक निगरानी पुलिस अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य की गई है, जो व्यक्ति कि गिरफ्तारी से जुड़ी हर जानकारी को संकलित करेगा। वही इस कानून से आम जनता को भी फायदा होगा।