सात साल, 250 एफआइआर, 2000 गिरफ्तारी और पचास से ज्यादा मौतों वाला कुख्यात व्यापम घोटाला बिना किसी नतीजे पर पहुंचे इतिहास का अध्याय बनने जा रहा है। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार बचने के बाद दिवाली पर ख़बर है कि केंद्रीय अन्वेषण एजेंसी (सीबीआइ) इस मामले की जांच को बंद करने जा रही है। पांच साल पहले सीबीआइ को इस घोटाले में दर्ज 15 मुकदमों की छानबीन करने का काम सौंपा गया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पांच साल बाद सीबीआइ व्यापम घोटाले की जांच में बिना किसी फाइनल नतीजे पर पहुंचे इसे बंद करने जा रही है। बीते पांच साल में सीबीआइ ने इस मामले 3,500 लोगों के खिलाफ़ 155 चार्जशीट दाखिल किये हैं। किन्तु जांच पर नज़र रखने वालों ने सीबीआई की जांच पर असंतोष जाहिर किया है। उन्होंने सीबीआइ जांच को निराशाजनक करार दिया है।
इस मामले में करीब 300 लोगों के खिलाफ जांच अभी बाकी है और आरोपियों में कई प्रभावशाली लोगों के नाम शामिल हैं। जुलाई 9, 2015 को सुप्रीमकोर्ट ने व्यापम जांच सीबीआइ को सौंपने का आदेश दिया था। सीबीआइ ने मध्यप्रदेश एसटीएफ से 13 जुलाई 2015 को यह केस अपने हाथ में लिया था और सीबीआइ निदेशक ने शुरू में एक 40 सदस्यों की टीम का गठन किया था। तब विपक्षी दलों और पर्यवेक्षकों को उम्मीद जगी थी कि क्रम से सभी दोषियों के खिलाफ़ कार्यवाई होगी। कुछ समय बाद ही जांच अधिकारियों ने कहा कि यह घोटाला इतना व्यापक और बड़ा है कि इसके तय तक जाने में दो दशक लग जायेंगे। इसे भारत का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला है।
सीबीआइ ने अपनी जांच में किसी भी प्रभाशाली व्यक्ति से न पूछताछ की न ही किसी को नामजद किया। इस मामले जुड़े तमाम गवाहों की मौत और आत्महत्या के मामले में सीबीआई ने पुलिस जांच से अलग कुछ नया तथ्य प्रस्तुत नहीं किया।
Central Bureau of Investigation (CBI) files charge-sheet against 95 persons in Vyapam scam case.
— ANI (@ANI) January 16, 2018
इस जांच के दौरान कई बार कई ऑफिसर को ट्रांसफर किया गया। मार्च 2018 को एक दिन में इस मामले की जांच कर रहे 20 अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया था। इसी महीने सीबीआइ ने भोपाल के एल एन कॉलेज के चेयरमैन को हिरासत में लिया था।
बीते साल 25 नवम्बर को सीबीआइ अदालत ने इस मामले में 31 लोगों को सज़ा सुनाई , 30 को सात साल की कैद और एक को 10 साल की कैद।
अक्तूबर 2017 को सीबीआइ ने 490 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया किन्तु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को क्लीन चीट दे दिया जिनके शासनकाल में यह घोटाला सामने आया और हुआ था।
CBI files charge sheet against 490 accused in Vyapam scam. pic.twitter.com/D6ZhGPyTyD
— ANI (@ANI) October 31, 2017
बता दें कि, साल 2013 में पहली बार यह मामला मध्यप्रदेश में सामने आया था। इस में नेता, कारोबारी, बड़े छोटे नौकरशाह, आदि तमाम लोगों की संलिप्तता थी, लेकिन आज तक सीबीआइ ने किसी भी बड़ी शख्सियत के ऊपर हाथ नहीं डाला है।
मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल अथवा व्यापम (व्यावसायिक परीक्षा मण्डल) राज्य में कई प्रवेश परीक्षाओं के संचालन के लिए जिम्मेदार राज्य सरकार द्वारा गठित एक स्व-वित्तपोषित और स्वायत्त निकाय है। ये प्रवेश परीक्षाएँ, राज्य के शैक्षिक संस्थानों में तथा सरकारी नौकरियों में दाखिले और भर्ती के लिए आयोजित की जाती हैं।
व्यापम घोटाले की व्यापकता सन 2013 में तब सामने आई जब इंदौर पुलिस ने 2009 की पीएमटी प्रवेश से जुड़े मामलों में 20 नकली अभ्यर्थियों को गिरफ़्तार किया जो असली अभ्यर्थियों के स्थान पर परीक्षा देने आए थे।