MP Bypolls: EC का मंत्री मोहन यादव पर एक दिन का बैन, दांडोतिया-ठाकुर को भेजा नोटिस


चुनाव आयोग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को एक दिन के लिए प्रचार से प्रतिबंधित कर दिया है। वहीं, मंत्री और भाजपा प्रत्याशी गिर्राज दांडोतिया और उषा ठाकुर को भी आचार संहिता उल्लंघन के मामले में नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है।



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भोपाल। मध्यप्रदेश उपचुनाव में मतदान से पहले आखिरी समय में चुनाव आयोग अब नेताओं के विवादित बोलों को लेकर सख्ती दिखाता हुआ लग रहा है। इसी कड़ी में चुनाव आयोग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को एक दिन के लिए प्रचार से प्रतिबंधित कर दिया है।

इस प्रतिबंध की वजह से मोहन यादव शनिवार को न तो किसी सभा, जुलूस, रोड शो में हिस्सा ले पाएंगे और न ही किसी टीवी शो, साक्षात्कार या फिर मीडिया से बातचीत कर सकेंगे।

यह कदम डॉ. यादव के कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए दिए अमर्यादित भाषण को लेकर उठाया गया है। वहीं, मंत्री और भाजपा प्रत्याशी गिर्राज दांडोतिया और उषा ठाकुर को भी आचार संहिता उल्लंघन के मामले में नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है।

चुनाव आयोग ने देर रात जारी आदेश में कहा है कि 11 अक्टूबर को डॉ. मोहन यादव ने कार्यकर्ताओं की बैठक में जिन शब्दों का उपयोग किया, वे आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आते हैं।

उन्होंने बैठक में कार्यकर्ताओं के बीच कहा था कि अच्छे के साथ अच्छा कदम मिलाकर चलना जानते हैं। यदि कोई बुरा करने जाएगा तो घर से निकालकर लाएंगे और जमीन में गाड़ने वाले लोग हैं।

कांग्रेस की शिकायत पर डॉ. यादव को नोटिस जारी करके चुनाव आय़ोग ने जवाब मांगा था। लेकिन, उनके जवाब से आयोग संतुष्ट नहीं हुआ और कहा कि 31 अक्टूबर के लिए प्रतिबंध लगाया जाता है और उम्मीद की जाती है कि एक जिम्मेदार राजनेता के नाते पालन करेंगे।

वहीं, मंत्री और भाजपा प्रत्याशी गिर्राज दांडोतिया ने 22 अक्टूबर को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर कहा था कि जो अपशब्द उन्होंने डबरा में कहे यदि वे चंबल में कहे होते तो जिंदा नहीं जा पाते। आयोग ने उनके इस बयान को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए नोटिस देकर जवाब तलब किया है।

इसी तरह मंत्री उषा ठाकुर ने 27 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मदरसे को लेकर टिप्पणी की। इसे आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए नोटिस प्राप्त होने के 48 घंटे के भीतर अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। यदि दोनों मंत्री अपना पक्ष नहीं रखते हैं तो आयोग एकतरफा निर्णय ले लेगा।


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