सरकारी रिपोर्ट में दावाः नशे की गिरफ्त में देश के डेढ़ करोड़ से ज्यादा बच्चे, 16 करोड़ पीते हैं शराब


सरकार ने कहा कि शराब भारतीयों द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला साइकोएक्टिव पदार्थ है, इसके बाद भांग और नशीली दवाएं हैं।


DeshGaon
बड़ी बात Published On :
grip of drugs

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में कितने लोग नशीले पदार्थ का सेवन करते हैं। इसके अलावा कितने साल के बच्चे नशे के प्रभाव में आ चुके हैं।

सरकार ने कोर्ट के आदेश के बाद किए गए एक सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में 10 से 17 साल की उम्र के 1.58 करोड़ बच्चे नशीले पदार्थों के आदी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये बच्चे और किशोर अल्कोहल, अफीम, कोकीन, भांग सहित कई तरह के नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। सरकार ने कहा कि शराब भारतीयों द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला साइकोएक्टिव पदार्थ है, इसके बाद भांग और नशीली दवाएं हैं।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक हलफनामे में कहा है कि उसने 2018 के दौरान एम्स, नई दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (NDDTC) के माध्यम से भारत में मादक द्रव्यों के सेवन की सीमा और पैटर्न पर पहला व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया है।

मंत्रालय ने हलफनामे में कहा है कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट फरवरी, 2019 में जारी की गई थी और इसके अनुसार, शराब भारतीयों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम नशीला पदार्थ है, इसके बाद भांग और ओपिओइड का स्थान आता है।

भारत में लगभग 16 करोड़ लोग शराब पीने के आदि हैं। देश में 5.7 करोड़ से अधिक व्यक्ति हानिकारक या शराब के उपयोग पर निर्भर हैं और उन्हें शराब के उपयोग की समस्याओं के लिए मदद की आवश्यकता है।

रिपोर्ट बताती है कि 3.1 करोड़ व्यक्ति भांग उत्पादों का उपयोग करते हैं और लगभग 25 लाख लोग भांग की गिरफ्त में पूरी तरह से आ चुके हैं।

इसके साथ ही 2.26 करोड़ लोग ओपिओइड का उपयोग करते हैं और लगभग 77 लाख व्यक्तियों को ओपिओइड के उपयोग की समस्याओं के लिए मदद की आवश्यकता होती है।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और बीवी नागरत्न की पीठ के समक्ष कहा कि शीर्ष अदालत के 2016 के फैसले के अनुसार, सरकार ने भारत में मादक द्रव्यों के उपयोग की सीमा और पैटर्न पर एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया था और मादक द्रव्यों के उपयोग पर एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय सर्वेक्षण भी पूरा किया था।

बचपन बचाओ आंदोलन एनजीओ का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फूलका ने कहा कि सरकार 2016 के फैसले में जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने मादक द्रव्यों के सेवन से निपटने के लिए अपनी राष्ट्रीय योजना में सभी पहलुओं को शामिल नहीं किया है।

पीठ ने फूलका से पूछा कि क्या वह योजना में कुछ और करना चाहते हैं या वह आदेश का पालन न करने से व्यथित हैं। फूलका ने कहा कि राष्ट्रीय योजना में और पहलुओं को शामिल किया जा सकता था।

पीठ ने कहा कि वह इस मामले को स्वत: संज्ञान लेकर मामले से जोड़ रही है, जो कुछ हद तक समान है और मुख्य न्यायाधीश की अदालत उस मामले की सुनवाई कर रही है।

भाटी ने सहमति व्यक्त की कि इस मामले को मुख्य न्यायाधीश द्वारा सुनवाई के मामले से जोड़ा जा सकता है। हलफनामे में कहा गया है कि इस देश के नागरिकों के बीच नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या का समाधान करने के लिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ड्रग डिमांड रिडक्शन (एनएपीडीडीआर) के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार और कार्यान्वित की है, जिसके तहत सरकार गिरफ्तारी के लिए निरंतर और समन्वित कार्रवाई कर रही है। युवाओं और महिलाओं के बीच मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या है।

एनएपीडीडीआर ने हलफनामे में कहा है कि हमारा मुख्य उद्देश्य निवारक शिक्षा, जागरूकता सृजन, पहचान, परामर्श, उपचार और पदार्थ पर निर्भरता वाले व्यक्तियों के पुनर्वास, प्रशिक्षण और सेवा प्रदाताओं के क्षमता निर्माण पर सहयोगी प्रयासों के माध्यम से ध्यान केंद्रित करना है।

वहीं, शिक्षा मंत्रालय ने एक अन्य हलफनामे में कहा कि नशीले पदार्थों के उपभोग और विशिष्ट सामग्री के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए उठाए गए कदमों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तत्वावधान में स्कूली पाठ्यक्रम में अपनाया गया है।


Related





Exit mobile version