नई दिल्ली। लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र सीमा 18 साल से बढ़ाकर 21 साल किए जाने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने बुधवार को मंजूरी दे दी है और माना जा रहा है कि संसद के मौजूदा सत्र में ही इस विधेयक को पेश किया जाएगा।
केंद्रीय कैबिनेट ने लड़के-लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र एक समान यानी 21 वर्ष करने के विधेयक को मंजूरी दे दी। इस कानून के लागू होने के बाद सभी धर्मों व वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र एकसमान 21 वर्ष हो जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में लालकिले से अपने संबोधन के दौरान लड़कियों और लड़कों के विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान करने की घोषणा की थी, जिसे तकरीबन एक साल बाद अमलीजामा पहनाया जा रहा है।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में संशोधन पेश करेगी और इसके परिणामस्वरूप विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 जैसे व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन लाएगी।
लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र पर विचार के लिए दिसंबर 2020 में जया जेटली की अध्यक्षता में केंद्र ने टास्क फोर्स का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट सितंबर 2020 में नीति आयोग को सौंपी थी।
इस टास्क फोर्स का गठन मातृत्व की उम्र से संबंधित मामलों, मातृ मृत्यु दर को कम करने की अनिवार्यता, पोषण में सुधार से संबंधित मामलों की जांच के लिए किया गया था।
टास्क फोर्स ने युवतियों की विवाह की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष करने का पूरा रोल आउट प्लान सौंपा था और इसे समान रूप से पूरे देश में सभी वर्गों पर लागू करने की मजबूत सिफारिश की थी।
बता दें कि मोदी सरकार के कार्यकाल में विवाह के संबंध यह दूसरा बड़ा सुधार है जो समान रूप से सभी धर्मों के लिए लागू होगा। इससे पहले एनआरआई मैरिज को 30 दिन के भीतर पंजीकृत कराने का बड़ा कदम उठाया गया था।
टास्क फोर्स ने शादी की उम्र समान 21 साल रखने को लेकर चार कानूनों में संशोधनों की सिफारिश की है। युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी बदलाव 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी।