IAF की क्षमता बढ़ाने के लिए खरीदे जाएंगे मीडियम रडार ‘अरुधरा’ और वार्निंग रिसीवर्स


रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ 3,700 करोड़ रुपये से अधिक लागत के दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं।


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radar arudhara

नई दिल्ली। भारत बहुत तेजी के साथ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। इसी क्रम में भारतीय वायुसेना ने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मध्यम शक्ति रडार ‘अरुधरा’ और राडार वार्निंग रिसीवर्स खरीदने का फैसला किया है।

हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ 3,700 करोड़ रुपये से अधिक लागत के दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन दोनों रडार से वायु सेना की निगरानी, पहचान और ट्रैकिंग क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

इस रडार को स्वदेशी रूप से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने डिजाइन और विकसित किया गया है और इसका निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) करेगा। इसका सफल परीक्षण भारतीय वायुसेना पहले ही कर चुकी है।

यह एक 4D multi-function phased array radar है, जिसमें हवाई लक्ष्यों की निगरानी, पता लगाने और ट्रैकिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्टीयरिंग लगाया गया है। यह परियोजना औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र में विनिर्माण क्षमता के विकास के लिए एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा।

वार्निंग रिसीवर्स वारफेयर क्षमताओं को बढ़ाएगा –

इसके अलावा डीआर-118 राडार चेतावनी रिसीवर वायु सेना के लड़ाकू विमानों सुखोई-30 MKI के इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमताओं को बढ़ाएगा। यह परियोजना MSME सहित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देगी और प्रोत्साहित करेगी।

आत्मनिर्भर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम –

यह पहल रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत की बढ़ती रक्षा औद्योगिक क्षमताओं में विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं जो विशेष रूप से ड्रोन, साइबर-टेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रडार आदि के उभरते हुए क्षेत्रों से संबंध रखते हैं।

एक मजबूत रक्षा विनिर्माण इको-सिस्‍टम बनाया गया है, जिसके कारण भारत अभी हाल के वर्षों में एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में उभरा है।


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