नई दिल्ली। अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉलर डिएगो माराडोना का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 60 साल के थे। इसी महीने की शुरुआत में दिमाग़ में क्लॉटिंग के लिए उनका सफल ऑपरेशन हुआ था। माराडोना के निधन से दुनियाभर में फैले उनके करोड़ों चाहने वालों में शोक का लहर है। भारत के कोलकाता शहर में भी फूटबाल प्रेमी बहुत दुखी हो गये हैं।
लोग भारी मन से अपने प्रिय खिलाड़ी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
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— AFP News Agency (@AFP) November 25, 2020
माराडोना 1982 के विश्व कप फ़ुटबॉल से सबसे पहले चर्चा में आए। यह विश्व कप स्पेन में खेला गया था लेकिन उस समय मात्र 21 वर्षीय माराडोना अर्जेंटीना के स्टार खिलाड़ी के रूप में उभरे।
Diego Maradona won trophies in South America.
He won them in Spain, in Italy and on the world stage.
He won as part of a team and he won as an individual.
Today we say goodbye to one of the the most beautiful of players to play our beautiful game 💔 pic.twitter.com/dbKAYAEpFB
— Football on BT Sport (@btsportfootball) November 25, 2020
अर्जेंटीना फुटबॉल असोसिएशन ने शोक जताते हुए कहा, ‘हमारे लीजेंड के निधन से हम शोक में डूबे हैं, आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे.’ अर्जेंटीना की ओर से खेलते हुए माराडोना ने 91 मैचों में 34 गोल किए। अर्जेंटीना की ओर से माराडोना ने चार वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया है।
साल 1986 का विश्व कप पूरी तरह माराडोना के नाम रहा। उन्हें टीम की कप्तानी सौंपी गई और वह अकेले दम पर अर्जेंटीना को पहली बार चैंपियन बनाकर लौटे। उन्होंने पांच गोल किए और पांच में मदद की।
उन्हें टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का गोल्डन बॉल अवॉर्ड भी मिला और सिर्फ उनके देश अर्जेंटीना में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में ‘डिएगो-डिएगो’ का नाम गूंज उठा। मैरोडोना उस दौर में सबसे लोकप्रिय शख्स बन गए। उनके बहुत से चाहने वाले उन्हे पेले से भी महान खिलाड़ी मानते हैं।
माराडोना ने अर्जेंटीना के लिए 91 मैच खेले जिसमें उन्होंने 34 गोल दागे। इतना ही नहीं, उन्होंने चार विश्व कप में अर्जेंटीना का प्रतिनिधित्व भी किया। उन्होंने साल 1997 में अपने जन्मदिन पर फुटबॉल से संन्यास लिया। साल 2008 में लियोनल मेस्सी की टीम के कोच बने, पर क्वार्टर फाइनल में टीम हार गई।