पटवारी परीक्षा विवाद को अब घोटाला कहने की कई वजहें, टॉपर की काबिलियत संदेहजनक


भर्ती परीक्षा में विवाद बढ़ा, सामान्य सवालों का जवाब नहीं दे पाईं टॉप टेन में शामिल एक उम्मीदवार


DeshGaon
बड़ी बात Published On :

मध्यप्रदेश में हुई पटवारी परीक्षा लगातार विवादों में बनी हुई है। पहला विवाद एनआरआई कॉलेज से शुरु हुआ और अब मामला टॉपरों की काबिलियत तक पहुंच चुका है। प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाली ग्वालियर की एक अभ्यर्थी पूनम राजावत से जब एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या नर्मदापुरम कौन से संभाग में है तो वे ये भी नहीं बता पाईं। ये टॉपर को प्रदेश की राजधानी के सवाल पर भी कुछ कन्फ्यूज़ दिखाई दीं। इसके बाद भी इस दिलचस्प इंटरव्यू में इसके बाद भी कई ऐसे मौके थे जहां पूनम सामान्य जवाब देने में भी कतरा रहीं थीं या उन्हें पता ही नहीं थे। ऐसे में कहा जा सकता है कि भर्ती परीक्षा में बैठने वाले करीब चौदह लाख नौजवानों में तीसरे नंबर पर आईं ये अभ्यर्थी उतनी काबिल तो नहीं है जैसा कि पटवारी परीक्षा का रिजल्ट बताता है।

इसके अलावा कई दिव्यांगों पर भी सवाल उठ रहे हैं। पटवारी परीक्षा के साथ ग्रुप-2 सब ग्रुप-4 भर्ती संयुक्त भर्ती परीक्षा-2023 के एक टॉपर सहित अन्य चयनित इन अभ्यर्थी भी संदिग्ध दिखाई देते हैं। इन सभी ने इस परीक्षा में अपने आप को शारीरिक रूप से दिव्यांग बताया, लेकिन तीन महीने बाद हुई वन रक्षक और जेल प्रहरी की संयुक्त भर्ती परीक्षा-2023 में ये सभी विकलांग हो गए। ऐसा इसलिए क्योंकि वनरक्षक और जेल प्रहरी की परीक्षा में विकलांगता कोटा नहीं होता। दोनों भर्ती परीक्षाओं के फॉर्म जनवरी,. फरवरी 2023 में भरे गए थे। ये सभी जानकारियां परीक्षा संबंधी रिकाॅर्ड से मिल रहीं हैं।


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