कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल कर रहे PESA Act के तहत नियुक्तियों की CBI जांच की मांग, जानिए पूरा मामला


आरोप- मेरिट को दरकिनार कर BJP-RSS वर्कर बनाए गए PESA कोऑर्डिनेटर!
गवर्नर के नाम ज्ञापन देंगे जयस कार्यकर्ता, MLA अलावा बोले- फर्जी नियुक्तियां तुरंत रद्द की जाएं और जांच हो।


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भोपाल। पिछले साल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा मप्र में लागू किए गए PESA Act को लेकर जागरुकता अभियान चलाने और क्रियान्वयन के लिए पेसा समन्वयकों की नियुक्तियां की गई हैं जिनको लेकर कांग्रेस व जयस समेत विपक्षी दलों ने धांधलियों के आरोप लगाए हैं।

पेसा समन्वयकों की नियुक्तियों को लेकर एक तरफ जहां आदिवासी संगठन ‘जयस’ के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल रखा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी जमकर निशाना साधा है।

जयस के राष्ट्रीय संरक्षक और मनावर विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने प्रदेश भर में पेसा ब्लॉक समन्वयकों की नियुक्ति में हुई गड़बड़ी को लेकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन देने को कहा है जिसके तहत जयस कार्यकर्ता प्रदेश भर में ज्ञापन देकर नियुक्ति रद्द करने की मांग करेंगे।

वहीं, मध्य प्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर PESA Act को लेकर भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा और कई अनियमितताओं का आरोप लगाया।

विक्रांत भूरिया ने कहा कि अनियमितताओं को लेकर कांग्रेस आंदोलन करेगी और अदालत का दरवाजा भी खटखटाएगी क्योंकि प्रदेश की शिवराज सरकार आदिवासी समाज का हक छीनने की साजिश कर रही है।

भूरिया इतने पर ही नहीं रूके और कहा कि भाजपा PESA Act को खत्म कर रही है। पेसा कानून के तहत भाजपा-संघ के लोगों की भर्ती की जा रही है। पेसा कानून 1996 में बना था, लेकिन मध्यप्रदेश में कानून बनने में 20 साल लग गए।

राज्य सरकार नियम बनाने का निर्णय लेती है, पेसा कानून का मूल उद्देश्य विधानसभा, लोकसभा से बड़ी शक्ति ग्रामसभा बने, ग्रामसभा स्वतंत्र रूप से काम कर सके और नौकरशाही खत्म हो, लेकिन वर्तमान में एसडीएम, तहसीलदार, कलेक्टर ऊपर हैं।

युवा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने कहा कि यह भर्तियां सरकारी एजेंसी से न करवाकर आउटसोर्स एजेंसी से क्यों नहीं कराई गईं। क्या इन नियुक्तियों में आरक्षण और मैरिट लिस्ट का पालन हुआ है। इस मामले की सीबीआई जांच की जाए, कांग्रेस ने की भर्तियां निरस्त करने की मांग। टॉपर के नाम मेरिट लिस्ट से गायब हैं।

वहीं, खरगोन जयस के मीडिया प्रभारी मायाराम अवाया ने वीडियो जारी कर नियुक्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगाया और कहा कि पेसा एक्ट में ब्लॉक कॉर्डिनेटर के लिए सरकार ने आउटसोर्स के जरिये सेडमैप से वेकैंसी निकाली थी।

89 ब्लॉक में लाखों युवाओं ने फार्म डाले थे जिसकी मेरिट लिस्ट बनी थी। इसके बाद युवाओं को मेरिट लिस्ट के आधार पर युवाओं को इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर आए और अगले ही दिन उसे अचानक स्थगित कर दिया गया।

जब पेसा एक्ट लागू हुआ और नियुक्त हुए लोगों की लिस्ट आई तो उसमें भाजपा-आरएसएस से जुड़े लोगों की नियुक्ति हुई है। अगर सरकार को इस तरह से आरएसएस के लोगों की नियुक्ति करनी थी तो उन्हें अपने पार्टी फंड से पैसे देने चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि पेसा के ब्लॉक कॉर्डिनेटर्स में कई अयोग्य लोगों का चयन किया गया है। इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर सही तरीके से नियुक्ति कर युवाओं का चयन किया जाए।

जयस के राष्ट्रीय संरक्षक और मनावर विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने शनिवार को आरोप लगाते हुए कहा कि हाल ही में मप्र सरकार ने पेसा नियम 2022 बनाए और उन्हीं नियमों के तहत 89 आदिवासी विकासखंडों में पेसा ब्लॉक कॉर्डिनेटर्स की भर्ती की गई थी।

2021 में जो विज्ञप्ति निकली थी उसमें कहा गया था कि 12वीं और बैचलर डिग्री के मेरिट के आधार पर उनका चयन किया जाएगा, लेकिन जो लिस्ट जारी हुई उसमें जो 890 उम्मीदवारों की मेरिट बनी थी। उन्हीं की 9-10-11-12 फरवरी को इनका इंटरव्यू होना था।

सरकार ने उसे कैंसिल कर दिया और जिनके नियुक्ति आदेश जारी हुए, उसमें उनका कोई इंटरव्यू नहीं हुआ। भाजपा और उससे जुडे संगठन के युवाओं का चयन कर लिया गया।

अलावा ने साफ कहा कि मप्र सरकार ने हजारों आदिवासी युवाओं के साथ धोखा करते हुए फर्जी नियुक्तियां की हैं। इन नियुक्तियों को तुरंत निरस्त कर पारदर्शी तरीके से भर्ती की जाए। ये हमारी मांग है।


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