भोपाल। साल 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके में आरोपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर की एनआईए की विशेष अदालत के सामने शनिवार को पेशी थी लेकिन वे नहीं पहुंची। ठाकुर ने एक महीने में दूसरी बार अपनी पेशी छोड़ी है। इस बारे में ठाकुर के वकील ने कहा कि वे शुक्रवार को दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थीं इसलिए पेशी पर नहीं आ सकीं।
इससे पहले ठाकुर को सांस लेने में दिक्कत की वजह से दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था। इसके अलावा उन्हें ब्लड प्रेशर की भी शिकायत है। एम्स के डॉक्टरों ने उनका कोविड-19 का टेस्ट भी किया है हालांकि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव रही।
प्रज्ञा ठाकुर और सुधाकर चर्तुवेदी के अलावा शेष पांच आरोपी इस कोर्ट में मौजूद रहे। इस पर न्यायाधीश पीआर शित्रे ने नाराज़गी जताई और कहा कि अब सभी सात आरोपियों को चार जनवरी को अदालत में पेश होना होगा। इससे पहले तीन दिसंबर को हुई पेशी में भी प्रज्ञा ठाकुर पेश नहीं हुईं थी। तब उन्होंने पेशी में नहीं आने की वजह कोरोना महामारी को बताया था।
सांसद प्रज्ञा ठाकुर चर्चा में बनी रहतीं हैं। पिछले दिनों वर्ण व्यवस्था को लेकर उनका एक बयान सामने आया था। जिस पर कई लोगों ने नाराज़गी भी जताई थी। इसके पहले ठाकुर महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता चुकीं हैं। उनका एक और चर्चित बयान मालेगांव बम धमाके मामले की जांच करने वाले और मुंबई हमलों में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे को लेकर भी आया था। जिस पर हुई आलोचना के बाद उन्होंने तुरंत माफ़ी भी मांग ली थी।
महाराष्ट्र के मालेगांव में मस्जिद के पास 29 सितंबर 2008 को हुए धमाके के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम सुर्खियों में आया। यहां एक मोटरसाईकिल में बम बांधकर रखा गया था। इस हादसे में छह लोगों की मौत हुई थी और सौ से अधिक लोग घायल हुए थे। मामले में प्रज्ञा ठाकुर आरोपी हैं हालांकि अब वे भारतीय जनता पार्टी की टिकिट पर भोपाल की सांसद भी बन चुकी हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनाव हराया है।