भोपाल। 29 जुलाई रविवार को अंर्तराष्ट्रीय बाघ दिवस पर राष्ट्रीय बाघ सरंक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने राज्यों में बाघों की संख्या के आंकड़े भी पेश किए हैं और सभी को मिलाया जाए तो देश में कुल 3167 बाघ हो चुके हैं। पहला नंबर मध्यप्रदेश का है जहां बाघों की संख्या 785 है जो सबसे ज्यादा है और इसी वजह से मप्र को लगतार दूसरी बार टाईगर स्टेट का दर्जा मिला है। इसके बाद कर्नाटक दूसरा ऐसा राज्य है जहां बाघों की संख्या सबसे ज्यादा है। वहां कुल 563 बाघ हैं। इसके बाद उत्तराखंड है जहां 560 बाघ हैं।
बाघों के आंकड़े जारी होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर इस उपलब्धि के लिए प्रदेश के लोगों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, ‘अत्यंत गर्व और हर्ष की बात है कि विगत चार वर्षों में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है। सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई। यह गौरवपूर्ण उपलब्धि वन विभाग के कर्मठ साथियों, वन्य जीव प्रेमियों और नागरिकों के योगदान से मिली है। मैं आप सबके सहयोग के लिए हृदय से आभार प्रकट करता हूँ। आइये, हम सब मिलकर ‘अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस’ पर भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण का पुनः संकल्प लें।’
भारत में पचास साल पहले केवल 268 बाघ बचे थे और इसके बाद तमाम कार्य़क्रम चलाए जाने का ही यह परिणाम है कि यह संख्या तीन हजार से अधिक हो पाई है। भारत में जितने बाघ हैं वह विश्व में इस जानवर की आबादी का कुल 75 प्रतिशत है। वहीं मध्यप्रदेश ने अपने घने जंगलों और बाघों पर गंभीरता बरतने के कारण यह उपलब्धि हासिल की है। सबसे पहले 2006 में हुई पहली गणना में मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट घोषित हुआ था। इसके बाद 2018 और अब 2022 में भी यहां सबसे ज्यादा बाघ पाए गए। साल 2018 जब बाघों की गणना में यह संख्या मप्र में 526 थी। हालांकि इस दौरान यह भी देखना होगा कि प्रदेश में बाघों पर खतरा भी बढ़ा है। पिछले कुछ महीनों में ही कई बाघों की मौत हुई है।