कटनी में दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की मूर्ति हटाने पर विवाद, दो अधिकारी निलंबित


कटनी में सड़क चौड़ीकरण के दौरान माधवराव सिंधिया की मूर्ति को “आपत्तिजनक तरीके” से हटाने पर विवाद। एनएचएआई ने दो अधिकारियों को निलंबित किया और अन्य को नोटिस जारी। जानें पूरी घटना।


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बड़ी बात Updated On :

मध्यप्रदेश के कटनी जिले में एक सड़क चौड़ीकरण परियोजना के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की मूर्ति को हटाने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस घटना के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने दो अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, साथ ही अन्य अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। बताया जा रहा है कि मूर्ति को हटाने की प्रक्रिया “आपत्तिजनक तरीके” से की गई, जिससे लोगों में भारी आक्रोश फैल गया है।

 

शनिवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कटनी के बायपास के पास स्थित माधवराव सिंधिया की मूर्ति को एक अर्थमूविंग मशीन की मदद से उठाया जा रहा था। वीडियो में मूर्ति के गले में रस्सी बांधकर उसे हटाते हुए दिखाया गया, जिसने लोगों की भावनाओं को आहत किया। यह वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद जनता और स्थानीय नेताओं ने इस कृत्य पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

 

स्व. माधवराव सिंधिया के प्रति सम्मान

घटना की जानकारी मिलते ही भाजपा सांसद और सिंधिया परिवार के सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि यह सिंधिया परिवार और उनके समर्थकों का अपमान है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है ताकि जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके।

कांग्रेस ने भी इस घटना को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने कहा कि यह घटना राज्य सरकार और एनएचएआई की लापरवाही और असंवेदनशीलता का प्रमाण है। उनका आरोप है कि जिस तरीके से मूर्ति को हटाया गया, वह किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है और यह सिंधिया के प्रति असम्मान को दर्शाता है।

 

एनएचएआई की कार्रवाई अब होगी जांच

इस घटना के बाद एनएचएआई ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया है और अन्य कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जांच समिति का गठन किया गया है जो इस घटना की पूरी जांच करेगी। इस बीच, मूर्ति को एक अस्थायी स्थान पर पुनः स्थापित कर दिया गया है ताकि स्थिति को शांत किया जा सके।

इस घटना ने न केवल कटनी जिले में बल्कि पूरे राज्य में राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है। कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने इसे भाजपा सरकार की प्रशासनिक विफलता बताया है, जबकि भाजपा का कहना है कि यह घटना किसी साजिश का हिस्सा हो सकती है।

 

इस घटना के बाद कटनी में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है, और सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल को तैनात किया गया है। स्थानीय नागरिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि इस तरह के असंवेदनशील कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए।

 

मूर्ति हटाने की जरूरत पर सवाल

यह घटना उन मुद्दों को भी उजागर करती है जो अक्सर विकास कार्यों के दौरान सामने आते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए मूर्ति को हटाना समझ में आता है, लेकिन जिस तरीके से इसे हटाया गया, वह अनावश्यक और असंवेदनशील था।

कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि सड़क निर्माण के लिए सार्वजनिक मूर्तियों को हटाना अनिवार्य हो सकता है, लेकिन इसे सम्मानजनक तरीके से किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि प्रशासन को इस तरह के कार्यों के लिए एक मानक प्रक्रिया निर्धारित करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के विवाद न हों।


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