मोदी सरकार के किसान विरोधी बिल के विरोध में आज जो लाखों किसान शांतिपूर्ण ढंग से दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं पहले सैकड़ों गिरफ्तारी और फिर उन्हें दिल्ली में घुसने से रोकने केलिए हरियाणा से लेकर दिल्ली तक पुलिस और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती, आंसू गैस के गोले , तेज पानी का बौछार आदि का इस्तेमाल कर रही है सरकार। इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि , जैसा कि आप जानते हैं कि पंजाब, मध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित देश के अलग-अलग राज्यों से लाखों किसान जिनमें युवा, वृद्ध और महिलाएं भी शामिल हैं पूरी दृढ़ता के साथ मार्च कर रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार द्वारा बैरिकेड लगाकर, कांटेदार तार की बाढ़ लगाकर, वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दाग कर तमाम तरह की बाधाएं उत्पन्न की जा रही है।
ऐसे में अब जब देश और भारत सरकार एक अहम मोड़ पर आ खड़े हुए हैं, किसी भी बड़ी दुर्घटना को रोकना सरकार की जिम्मेदारी है और यह भी सुनिचित करना होगा कि देश के अन्नदाताओं को ऐसी परेशानियों का सामना न करना पड़े। यह इसलिए करना होगा क्योंकि किसान से संबंधित जो नये बिल लाये गये हैं उन्हें लाते वक्त किसानों की आवाज़ नहीं सुनी गयी थी। जिस कारण आज यह स्तिथि बनी है।
किसानों और उनके संगठनों के लगातर बढ़ते जनाक्रोश के मद्देनज़र सरकार को अनेक पत्र लिखे गये लेकिन सरकार की ओर से उसका कोई उत्तर नहीं मिला।
बहरहाल, भारत सरकार को अपनी टकराववादी नीति त्यागते हुए समाज के इस वृहद्तर समूह के साथ सीधे सम्वाद स्थापित करते हुए उनकी शिकायतों को सुनना चाहिए। संवाद केलिए आमंत्रित करना और इसके लिए प्रतिकूल माहौल बनाना दो परस्पर विरोधी स्थितियां हैं। जिसका कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया सरकार ने नहीं दिखाई है।
इस पत्र में आगे कहा गया है कि, कम से कम अब भारत सरकार को देश के इस बड़े समुदाय की बात सुनने के लिए माहौल तैयार करना चाहिए और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए. ताकि बातचीत ईमानदारी से हो सके।
पत्र के अंत में संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से सरकार को सलाह दी है कि वह बातचीत केलिए माहौल बनाएं और रामलीला मैदान जैसी कोई जगह इस बातचीत केलिए तय करें।
सभी किसानों को बिना रूकावट दिल्ली में प्रवेश करने दें और सभी अखिल भारतीय और क्षेत्रीय मंचों को सार्थक बातचीत के लिए आमंत्रित करें।
इस पत्र को दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी भेजा गया है।