नई दिल्ली। किसान आंदोलन अब बड़ा रूप ले चुका है। पिछले कुछ दिनों में केंद्र सरकार के बड़े नेता किसानों से उनका विरोध रोकने की गुजारिश कर चुके हैं। मीडिया के साथ भारतीय जनता पार्टी के कई नेता किसान आंदोलन को राजनीतिक साजिश बता चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर गृहमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह इससे साफ इंकार कर रहे हैं।
इसके अलावा रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार द्वारा लाए जा रहे कृषि कानूनों की खुलकर तारीफ की। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सरकार पहले ही कृषि कानूनों की खूबियों को लेकर आश्वस्त है तो इन कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत कैसे होगी और बातचीत हो भी गई तो किसानों की बात सुने जाने की संभावनाएं कितनी बच रहीं हैं।
I never called the farmers’ protest politically motivated, neither I am calling it now: Home Minister Amit Shah in Hyderabad. pic.twitter.com/6kVTbUhSPk
— ANI (@ANI) November 29, 2020
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों में किसान आंदोलन उग्र होता रहा है वैसे इसे राजनीतिक साजिश का रूप भी दिया जा रहा है। ज्यादातर मीडिया संस्थान इसे कांग्रेस की साजिश बता रहे हैं। तो वहीं किसानों ने इस सब से खुद को दूर रखते हुए पूरा ध्यान केवल आंदोलन पर लगा रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में यह अब तक हुआ सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन बताया जा रहा है। जिसमें कई राज्यों के किसान सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि अब तक केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस आंदोलन पर कांग्रेस को नसीहत दी थी। भाजपा के ही अमित मालवीय किसानों को आतंकी और खालिस्तानी बताते हैं। हरियाणा में किसानों पर हजारों मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा भी कई नेता किसान आंदोलन को केवल एक राजनीतिक साजिश बता रहे हैं।
LIVE: Congress Party Briefing by Shri @rssurjewala, at AICC HQ https://t.co/dkcKcJlrfx
— Congress (@INCIndia) November 29, 2020
कांग्रेस भी इस मामले पर केंद्र सरकार को जमकर घेर रही है। कांग्रेस ने कहा कि एक ओर देश में इतना बड़ा आंदोलन चल रहा है तो वहीं दूसरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात कार्यक्रम में तीनों कृषि कानूनों की तारीफ करते हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने अमित शाह पर भी तंज़ कसा है। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री 12 किलोमीटर दूर हैदराबाद में चुनावी कारणों से जा सकते हैं लेकिन दिल्ली से कुछ किलोमीटर दूर किसानों से मिलने नहीं आ पाए। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि अगर मोदी जी कृषि कानूनों को लेकर पहले ही पूरी तरह आश्वस्त हैं तो गृह मंत्री और कृषि मंत्री क्यों किसानों से बातचीत का आश्वासन दे रहे हैं।