हिजाब विवाद मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए अपने आदेश में कहा है कि इस्लाम में हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है और कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने की इजाजत नहीं मिलेगी।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित और जस्टिस खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन की तीन मेंबर वाली बेंच ने हिजाब के समर्थन में मुस्लिम लड़कियों समेत दूसरे लोगों की तरफ से लगाई गईं सभी 8 याचिकाएं खारिज कर दीं।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने पिछले 74 दिन से इस मामले पर जारी घमासान को लेकर दिए फैसले में दो अहम बातें कहीं। पहली- हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। दूसरी- स्टूडेंट्स स्कूल या कॉलेज की तयशुदा यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते।
इस फैसले के मद्देनजर कर्नाटक के कई जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, साथ ही बेंगलुरु में सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह के प्रदर्शन करने, आंदोलन, विरोध या समारोह पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है। इसके अलावा हिजाब मामले में फैसला सुनाने वाले जज के घर पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने राज्य सरकार के 5 फरवरी को दिए गए आदेश को भी निरस्त करने से इनकार कर दिया, जिसमें स्कूल यूनिफॉर्म को जरूरी बताया गया था।
मंगलवार को फैसला सुनाने से पहले हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी ने कहा कि इस मामले में दो सवालों पर गौर करना अहम है। पहला- क्या हिजाब पहनना आर्टिकल 25 के तहत धार्मिक आजादी के अधिकार में आता है।
दूसरा- क्या स्कूल यूनिफॉर्म पहनने को कहना इस आजादी का हनन है। इसके बाद हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर बैन को सही ठहराया।
बता दें कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच हिजाब का मामला उस समय गरमा गया था जब 1 जनवरी को उडुपी के कर्नाटक के एक कॉलेज के अधिकारियों द्वारा हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
इसके बाद पीएफआई नामक संगठन से जुड़ी छह छात्राओं ने कॉलेज के आदेश का विरोध किया था, जिसके बाद से खूब हंगामा मचा था और फिर यह विवाद कई राज्यों में पहुंच गया।