देवास में नहीं फहराया गया था पाकिस्तानी झंडाः हाईकोर्ट


याचिाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट में कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे और याचिकाकर्ताओं द्वारा फहराए गए धार्मिक ध्वज में काफी फर्क है। दोनों झंडों में अर्धचंद्र और तारों की स्थिति बिल्कुल अलग अलग है।


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इंदौर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने शुक्रवार को देवास के चाचा – भतीजे (फारुख और अमन) की जमानत मंजूर कर ली। दोनों पर उनके घर की छत पर पाकिस्तान का राष्ट्रीय झंडा फहराने का आरोप था। दोनों को पिछले महीने देवास में आईपीसी की धारा 153 -A के तहत गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने माना है कि आरोपियों के द्वारा जो झंडा फहराया गया था वह पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज नहीं बल्कि एक धार्मिक ध्वज था।

जस्टिस वीरेंद्र सिंह के की अदालत में अपने पक्ष में याचिकाकर्ताओं के वकील अजय बागड़िया ने दलील दी कि फहराया गया झंडा धार्मिक था जिसे मोहर्रम के वक्त अक्सर घरों में फहराया जाता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे और याचिकाकर्ताओं द्वारा फहराए गए धार्मिक ध्वज में काफी फर्क है। दोनों झंडों में अर्धचंद्र और तारों की स्थिति बिल्कुल अलग अलग है।

कोर्ट ने इसके बाद दोनों झंडों का अवलोकन किया और आवेदन को अनुमति दी। पुलिस ने मामले में दोनों आरोपियों फारुख और अमन के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज होने की भी दलील दी थी और उनकी जमानत पर आपत्ती जताई थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। फारुख के खिलाफ जहां एक मामला दर्ज है तो वही अमन के खिलाफ तीन मामले दर्ज हैं। इनमें से एक दुर्घटना का है तो बाकी दो पारिवारिक झगड़े की मामले हैं। अपने दोनों याचिकाकर्ताओं को तीस – तीस हजार रु के मुचलके पर जमानत दी गई है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता वादा करते हैं कि शुभ अवसरों पर वे अपने घर पर भारतीय झंडा फहराएंगे और इस पर उन्हें गर्व होगा। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि यह अदालत इस बात की सराहना करती है।

यह मामला इसी साल 30 अगस्त का है जब देवास औद्योगिक क्षेत्र के तहत आने वाले शिप्रा क्षेत्र में फारुख और अमन के घर की छत पर लहराते एक झंडे का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब प्रचारित हुआ और कहा गया कि यह पाकिस्तानी राष्ट्रीय झंडा है। जिसके बाद प्रशासनिक अमला अचानक सक्रिय हुआ।



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