नई दिल्ली। देश में चीनी उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों का असर न सिर्फ रिकॉर्ड गन्ना उत्पादन पर हो रहा है, बल्कि इथेनॉल उत्पादन में भी तेजी से वृद्धि हो रही है।
इसका प्रमाण हमें चीनी उद्योग में हो रहे चहुंमुखी विकास से मिलता है। इसके संबंध में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक ट्वीट कर जानकारी दी है।
उन्होंने बताया कि देश में 5,000 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गन्ने की पैदावार हो रही है। जी हां, 19 जनवरी 2023 को उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े भी इसी ओर इशारा करते हैं।
आंकड़ों पर गौर करें तो चीनी सत्र 2021-22 में 5,000 लाख मीट्रिक टन (LMT) से ज्यादा गन्ने की पैदावार हुई। ऐसे में वर्ष 2021-22 भारतीय चीनी क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक सत्र साबित हुआ है।
केवल इतना ही नहीं इससे 394 लाख एमटी चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन हुआ, जिसमें 36 लाख चीनी का इस्तेमाल इथेनॉल उत्पादन में किया गया और चीनी मिलों द्वारा 359 एलएमटी चीनी का उत्पादन किया गया।
चीनी उद्योग में घुली आत्मनिर्भरता की मिठास…
देश में चीनी उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों का असर न सिर्फ रिकॉर्ड गन्ना उत्पादन पर हो रहा है, बल्कि इथेनॉल उत्पादन में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। pic.twitter.com/R7ahi5KAQv
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) March 14, 2023
36 लाख मीट्रिक टन चीनी से इथेनॉल उत्पादन –
बताना चाहेंगे कि पिछले 5 साल में इथेनॉल के जैव ईंधन क्षेत्र के रूप में विकास से चीनी क्षेत्र को खासा समर्थन मिला है, क्योंकि चीनी से इथेनॉल के उत्पादन से चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में पहले से काफी सुधार हुआ है।
इस क्रम में भुगतान तेज हुआ है, कार्यशील पूंजी की जरूरत कम हुई है और मिलों के पास अतिरिक्त चीनी कम होने से पूंजी के फंसने के मामले भी कम हुए हैं।
इन्हीं परिस्थितियों के बीच 36 लाख मीट्रिक टन चीनी का इस्तेमाल इथेनॉल उत्पादन में किया गया और चीनी मिलों द्वारा 359 एलएमटी चीनी का उत्पादन किया गया।
यही कारण रहा कि 2021-22 के दौरान, चीनी मिलों और डिस्टिलरीज ने इथेनॉल की बिक्री से 20,000 करोड़ रुपए नकद हासिल किए जिसने किसानों के गन्ना बकाये को जल्दी चुकाने में भी अहम भूमिका निभाई।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक –
इसका परिणाम यह रहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता के साथ-साथ ब्राजील के बाद दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है।
आज भारत में गन्ना किसानों की स्थिति में भी काफी सुधार आया है। चीनी क्षेत्र चीनी सत्र 2021-22 से बिना सब्सिडी के अब आत्मनिर्भर हो गया है। तभी तो आज भारत के चीनी उद्योग में आत्मनिर्भरता की मिठास घुल रही है।
चीनी क्षेत्र अब आगे बढ़ने में सक्षम –
चीनी क्षेत्र को आत्मनिर्भर रूप में आगे बढ़ने में सक्षम बनाने के एक दीर्घकालिक उपाय के रूप में, केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को चीनी से इथेनॉल के उत्पादन और अतिरिक्त चीनी के निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे चीनी मिलें किसानों को समय पर गन्ने का भुगतान कर सकती हैं और साथ ही, अपने संचालन को जारी रखने के लिए मिलों की वित्तीय स्थिति बेहतर हो सकती है।
सरकार के सुझाए इन दोनों कदमों की सफलता का ही परिणाम है कि आज भारत का चीनी उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है।