विश्व चैंपियनशिप में भारतीय महिला मुक्केबाजों ने रचा इतिहास, मेडल टेली में टॉप


चैंपियनशिप के 2023 संस्करण में भारत चार के साथ स्वर्ण पदक तालिका में शीर्ष पर है, जिसके बाद चीन है। 17 साल में यह दूसरा मौका है जब भारत ने इस टूर्नामेंट में चार स्वर्ण पदक जीता है।


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नई दिल्ली। महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारत ने चार स्वर्ण पदक जीतकर एक बार फिर अपना दबदबा साबित कर दिया है। नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित इस टूर्नामेंट में भारतीय महिला मुक्केबाजों ने स्वर्णिम अध्याय रच दिया है।

विश्व चैंपियनशिप में भारतीय मुक्केबाजों ने 48, 50, 75 और 81 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किए। इसकी शुरुआत नीतू घनघास ने 45-48 किग्रा भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर की। इसके बाद महिला मुक्केबाजों का गोल्डेन पंच ने भारत को पदक तालिका में शीर्ष पर पहुंचा दिया है।

चैंपियनशिप के 2023 संस्करण में भारत चार के साथ स्वर्ण पदक तालिका में शीर्ष पर है, जिसके बाद चीन है। 17 साल में यह दूसरा मौका है जब भारत ने इस टूर्नामेंट में चार स्वर्ण पदक जीता है।

यह प्रतियोगिता भारत की राजधानी दिल्ली में हो रही थी और घरेलू रिंग में महिला मुक्केबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 17 साल के बाद बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

इससे पहले 2006 में एमसी मैरी कॉम, सरिता देवी, जेनी आरएल और लेखा केसी ने भारत के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त किए थे। पीएम मोदी ने भी स्वर्ण पदक जीतने वाली मुक्केबाजों को बधाई दी।

दूसरी बार विश्व चैंपियन बनी निकहत जरीन –

निकहत जरीन ने रविवार को नई दिल्ली में 50 किग्रा वर्ग के शिखर मुकाबले में वियतनाम की गुयेन थी टैम को हराकर अपने नाम दूसरा विश्व चैंपियनशिप खिताब जोड़ा।

उन्होंने केडी जाधव इंडोर हॉल में घरेलू दर्शकों के सामने लाइट फ्लाईवेट खिताब हासिल करने के लिए दो बार की एशियाई चैंपियन गुयेन थी टैम को 5-0 के अंतर से मात दिया।

इस जीत के साथ निकहत जरीन दो बार प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का खिताब जीतने वाली दिग्गज एमसी मैरी कॉम के बाद दूसरी भारतीय बन गई हैं। छह बार की चैंपियन मैरी कॉम 2002, 2005, 2006, 2008, 2010, 2018, सरिता देवी 2006, जेनी 2006 और लेखा केसी 2006 में विश्व चैंपियन बनी थीं।

अन्य मुक्केबाजों का भी बेहतरीन रहा प्रदर्शन –

भारत को चार पदकों के साथ अंक तालिका शीर्ष पर लाने में अन्य मुक्केबाजों का भी बेहतरीन प्रदर्शन रहा। टोक्यो ओलंपिक मुक्केबाजी पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन ने 75 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में ऑस्ट्रेलिया की कैटलिन पार्कर को हराकर स्वर्ण पदक जीता।

यह विश्व चैंपियनशिप में लवलीना बोरगोहेन का पहला स्वर्ण पदक है। इससे पहले नीतू घनघास (48 किग्रा) और अनुभवी स्वीटी बूरा (81 किग्रा) को शनिवार को टूर्नामेंट में जीत हासिल कर विश्व चैंपियन का ताज पहना।

भारत में तीसरी बार आयोजन –

2006 और 2018 के बाद तीसरी बार इस प्रतियोगिता का आयोजन भारत में हुआ। इसके साथ ही भारत सबसे अधिक बार इस प्रतियोगिता की मेजबानी करने वाला देश बन गया है।

अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ (IBA) के अध्यक्ष उमर क्रेमलेव ने इस संबंध में टूर्नामेंट के शुरुआत के पहले कहा था कि भारत महिला मुक्केबाजी की राजधानी बन गया है और अब हम एक साथ ऐतिहासिक आयोजन के साक्षी बन रहे हैं।

उन्होंने कहा कि चैंपियनशिप में आमतौर पर 250 से 260 मुक्केबाज हिस्सा लेते हैं लेकिन इस साल यह बहुत बड़ी चैंपियनशिप है।

लगातार बढ़ रहा खेलों का दायरा –

आधुनिक तकनीक का तालमेल आज भारत में एक समृद्ध खेल संस्कृति का निर्माण कर रहा है। सरकार खेल के क्षेत्र में प्रतिभाओं की पहचान, चयन और प्रशिक्षण से लेकर खिलाड़ियों की खेल संबंधी जरूरतों तक देश के प्रतिभाशाली युवाओं के साथ हर कदम पर साथ है।

इसका उदाहरण हाल ही में सम्पन्न हुए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में देखने को मिला। अब तक की सबसे बड़ी प्रतियोगिता में 74 देशों की 350 से अधिक महिला मुक्केबाज शामिल हुए। मुक्‍केबाजी के इस सबसे बड़े टूर्नामेंट का आयोजन की शुरुआत नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में हुई।



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