धारः कारम डैम को बचाने के मिशन में जुटी सेना, अब भी जारी है रेसक्यू और मरम्मत


पानी निकालने के लिए बनाई जा रही कैनल में पत्‍थर आ गए हैं। इस कारण खुदाई में वक्‍त लग रहा है। हालांकि मरम्‍मत का काम अब भी जारी है और अधिकारी खुदाई वाले हिस्‍से में निरीक्षण करने पहुंचे हैं ताकि पानी निकासी के लिए कोई निर्णय लिया जा सके।


आशीष यादव
धार Updated On :
karam dam alternate channel

धार। धार जिले के धरमपुरी ब्लॉक स्थित भारूड़पुरा घाट स्थित ग्राम कोठिदा में कारम नदी पर बन रहे बांध के रिसाव की मरम्मत को 24 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन अड़चनों के बीच मरम्मत का काम जारी है।

पानी निकालने के लिए बनाई जा रही कैनल में पत्‍थर आ गए हैं। इस कारण खुदाई में वक्‍त लग रहा है। हालांकि मरम्‍मत का काम अब भी जारी है और अधिकारी खुदाई वाले हिस्‍से में निरीक्षण करने पहुंचे हैं ताकि पानी निकासी के लिए कोई निर्णय लिया जा सके।

बीती रात 2 बजे सेना की टीम ने मोर्चा संभाला है। सेना की इंजीनियरिंग विंग ने बांध पर जल संसाधन विभाग की टीम के इंजीनियरों की टीम के साथ मरम्मत का काम शुरू कर दिया है।

किसी भी तरह से बांध को फूटने से बचाने के लिए वैकल्पिक चैनल बनाकर बांध का पानी निकालने के लिए मशक्कत की जा रही है। इसके लिए पांच पोकलेन 20 घंटे से लगातार काम कर रहे हैं।

कारम नदी पर बन रहे बांध के निर्माण 2018 में शुरू हुआ, जो अब तक जारी है। इस बांध को बनाने के काम की शिकायतें तमाम स्तरों पर की गई। घटिया निर्माण की शिकायत धार से भोपाल तक पहुंची, लेकिन सुध नहीं ली गई।

इसका खामियाजा आज 12 गांव की करीब 40 हजार आबादी को भुगतना पड़ रहा है। लोगों को अपना घर-बार छोड़कर पहाड़ों, धर्मशालाओं और स्कूलों में शरण लेना पड़ी है। जिंदगीभर की जमापूंजी, घर-बार और सामान सबकुछ गांव में पीछे छूट गया है।

खेतों की फसलों से लेकर घर-आंगन सूने पड़े हैं। हालात चिंताजनक होने के कारण 18 घंटों से कलेक्टर डॉ. पंकज जैन, एसपी आदित्य प्रताप सिंह बांध पर मौजूद हैं और हालात पर नजर बनाए हुए हैं।

नींद के इंतजार में कट गई रात –

बाढ़ के अलर्ट के कारण धार व खरगोन के 12 गांव खाली करवाए गए, लेकिन शुक्रवार को रात होते ही ग्रामीण दोबारा घरों की ओर लौटने लगे। ऐसे में एसटीएफ की कंपनियां गांवों में तैनात की गई।

इन गांवों में धारा-144 लगाकर किसी भी व्यक्ति को गांव में घूमता पाए जाने पर हिरासत में लिया गया। तब जाकर लोग दोबारा सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट हुए। अधिकांश लोगों को धामनोद शिफ्ट कर दिया गया है।

धामनोद में राहत कैंप बनाए गए हैं, जहां खाना-रहने सहित अन्य व्यवस्था की गई है। कैंप में रातभर ग्रामीण नींद का इंतजार करते रह गए और चिंता में पूरी रात कट गई।

सेना ने शुरू किया अपना काम –

सरकार ने विभागीय अमले के साथ सेना की भी मदद ली है। पांच कंपनियां बुलवाई गई है, जो रात 2 बजे बांध पर पहुंच गई है। साथ ही इसमें इंजीनियरिंग विंग भी है। 200 लोगों की टीम मरम्मत और रेसक्यू का काम देखेगी।

इसके अलावा एसटीएफ को भी गांवों में तैनात किया गया है ताकि डाउन स्ट्रीम वाले एरिया में आने वाले गांव में लोग बेवजह न घूमे और घरों की तरफ दोबारा आने न लगे। भारी पुलिस बल भी लगाया गया है।

12 घंटे में 6 घंटे बंद रहा एबी रोड –

राऊ-खलघाट से होकर गुजर रहा मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पहली बार बाढ़ के खतरे के चलते बंद करना पड़ा। यह पहला मौका था जब नेशनल हाइवे को बंद किया गया।

12 घंटे में दो बार वाहनों की आवाजाही रोकते हुए 6 घंटे ट्रैफिक बंद रहा। रात करीब दो बजे बाढ़ का खतरा बढ़ने से दूसरी बार ट्रैफिक रोक दिया गया था।

जांच कमेठी गठित –

बांध का निरीक्षण करते हुए विभागीय मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता बांध को फूटने से बचाकर मरम्मत करवाना है। इसके लिए जो भी दोषी अफसर रहेंगे, उन पर कार्रवाई अवश्य होगी। मंत्री सिलावट ने बांध में हुए रिसाव के लिए एक जांच कमेटी भी बनाने के निर्देश दिए हैं।


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