नई दिल्ली। अगर टोल नाकों पर वाहनों की कतार 100 मीटर से ज्यादा होगी, तो उनसे टोल नहीं वसूला जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक वाहन को 10 सेकंड में सेवा दे दी जानी चाहिए।
यह बात उन दिशानिर्देशों में शामिल हैं जो देशभर में टोल नाकों पर वाहनों का वेटिंग टाइम कम करने को लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा जारी किए गए हैं। एक तरह से यह टोल प्लाजा ऑपरेटर को उसकी सेवा में सुस्ती या खामी के लिए मिला दंड होगा।
NHAI का इस बारे में कहना है कि
फास्टैग की वजह से ज्यादातर टोल पर इंतजार नहीं करना पड़ता, लेकिन किसी कारण कतार 100 मीटर से अधिक होती है तो, सभी वाहनों को बिना टोल दिए जाने की अनुमति होगी। यह तब तक चलता रहेगा, जब तक कि वाहनों की कतार वापस 100 मीटर के अंदर नहीं पहुंच जाती।
इसे लागू करने के लिए टोल लाइन में 100 मीटर पर पीली लाइन खींची जाएंगी। NHAI ने कहा कि इसका मकसद टोल प्लाजा ऑपरेटरों को उनकी गलतियों और खामियों की वजह से जाम लगने के लिए जिम्मेदार ठहराना और उन्हें अधिक कार्यकुशल बनाना है।
NHAI ने कहा है कि
फास्टैग की 100 फीसदी अनिवार्यता के बाद तो किसी वाहन के टोल प्लाजा पर रुकने की कोई जरूरत ही नहीं रह गई है। अधिकतर टोल प्लाजा पर अब फास्टैग लगे वाहनों की संख्या 96 फीसदी से अधिक व कई पर तो 99 फीसदी तक पहुंच गई है।
ऐसे में टोल प्लाजा पर इंतजार के दिन खत्म हो गए हैं। फिर भी, अगर किसी वजह से रुकने की नौबत आ ही जाए तो टोल ऑपरेटर को यह सुनिश्चित करना होगा कि एक वाहन को वहां से निकालने में 10 सेकेंड से अधिक का वक्त नहीं लगे।
NHAI का इस दिशानिर्देश में कहना था कि
इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ईटीसी) देशभर में बढ़ रहा है। ऐसे में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि भविष्य में बनने वाले सभी टोल प्लाजा अगले 10 वर्षों तक ट्रैफिक में होने वाली बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए निर्मित किए जाएं।
कोरोना संकट के इस दौर में शारीरिक दूरी अनिवार्य जरूरत बन गए है। अब इस वजह से भी लोग फास्टैग के माध्यम से टोल भुगतान को तरजीह देने लगे हैं।