नई दिल्ली। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत केंद्र सरकार सीमावर्ती गांवों को सशक्त बनाने का काम कर रही है। इन गांवों को सरकार रोड कनेक्टिविटी, पेयजल, सौर और पवन ऊर्जा सहित बिजली, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटन केंद्र, बहुउद्देश्यीय केंद्र और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा और स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों से जोड़ना चाहती है।
देश के पहाड़ी और सीमाई राज्यों में इस योजना की शुरुआत की जा रही है। ऐसे में केंन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले के सीमावर्ती गांव किबितू में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का शुभारंभ करेंगे।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य भारतीय सीमा से जुड़े गांवों में विकास को बढ़ावा देना है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 के दौरान लागू किया जायेगा।
फिलहाल सीमा से सटे भारतीय इलाकों की बात करें, तो यहां सरकार के द्वारा 4800 करोड़ रुपये विकास के लिए आवंटित किये गए हैं, जिनमें से कुल 2500 करोड़ रुपये सड़क निर्माण कार्य में खर्च होने वाले हैं।
इस प्रोग्राम के पहले चरण में करीब 662 गांवों को शामिल किया जा रहा है जबकि पूरे प्रोग्राम में 2967 गांवों को शामिल किया जाता है। इस योजना के तहत उन इलाकों में केंद्र सरकारी की सभी योजनाएं भी लागू की जाएंगी।
इन राज्यों में भी होगी लागू –
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसके तहत व्यापक विकास के लिए अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उत्तरी सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2967 गांवों की पहचान की गई है।
पहले चरण में, प्राथमिकता के आधार पर 662 गांवों की पहचान की गई है, जिनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 गांव, हिमाचल प्रदेश के 75, लद्दाख के 35, सिक्किम के 46 और उत्तराखंड के 51 सीमावर्ती गांव को शामिल किया गया है।
सीमावर्ती गांवों से पलायन रोकने का लक्ष्य –
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सरकार सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाकर सीमावर्ती गांवों के पलायन को रोकना चाहती है। जिससे इन गांवों से पलायन रुक सके और सीमा सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिल सके।
हाल ही में पीएम मोदी ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” को देश के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की कुंजी बताते हुए कहा कि यह हमारे सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए बहुत अहम है।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के फायदे –
सरकार के द्वारा सीमा से लगे हुए गांवों में विकास के साथ आजीविका भी मुहैया करवाई जाएगी जिसके चलते लोगों का वहां से पलायन करने का सिलसिला भी कम हो जाएगा। इस प्रोग्राम के आने से विकास दर की रफ़्तार तेज हो जाएगी। साथ में महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने पर भी फोकस किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत आर्थिक विकास, मोबाइल तथा इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केंद्र, आजीविका के अवसर सृजन, सड़क मार्ग संपर्क, आवास एवं ग्राम अवसंरचना, पारंपरिक एवं सौर व पवन ऊर्जा के माध्यम से अक्षय ऊर्जा उपलब्ध कराना, सूचना तंत्र आधारित कॉमन सर्विस सेंटर सहित गांवों में दूरदर्शन और दूरसंचार कनेक्टिविटी की स्थापना और स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा, वित्तीय समावेशन कौशल विकास एवं उद्यमिता कृषि बागवानी, औषधीय जड़ी बूटी की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों के प्रबंधन के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास करेगी।
‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत “एक गांव एक उत्पाद” की अवधारणा पर स्थायी इको-एग्री बिजनेस के विकास पर ध्यान केंद्रीत किया जायेगा।
स्वर्ण जयंती सीमा प्रकाश कार्यक्रम में होंगे शामिल –
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह 10 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश के किबितू में “स्वर्ण जयंती सीमा प्रकाश कार्यक्रम” के तहत अरुणाचल प्रदेश सरकार की 9 माइक्रो हाइडल परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। यह बिजली परियोजनाएं सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के सशक्तिकरण में मदद करेंगी।
इसके अलावा लिकाबाली (अरुणाचल प्रदेश), छपरा (बिहार), नूरानड (केरल) और विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) में बुनियादी ढांचे को सशक्त करने के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे। 11 अप्रैल को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री नमती मैदान का दौरा करेंगे और वालोंग युद्ध स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।