लखनऊ। ताजमहल के तहखाने में बने 20 कमरों को खोलने की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई है।
मामले को लेकर गुरुवार को 12 बजे सुनवाई शुरू हुई थी और ताजमहल में तहखाने के 20 कमरों को खोलने को लेकर दायर की गई याचिका पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।
जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा कि याचिकाकर्ता पीआईएल व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाएं, पीएचडी करें, तब कोर्ट आएं।
इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आना।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा है कि आप हमसे क्या चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि हम यह तय करें कि ताजमहल किसने बनवाया है? क्या आपके किसी अधिकार का हनन हुआ? जज ने यह टिप्पणी भी कि व्यवस्था का मजाक न बनाया जाए।
कोर्ट ने कहा कि कल को आप आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चेंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा।
Allahabad HC rejects plea seeking to open 22 closed doors in Taj Mahal
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— ANI Digital (@ani_digital) May 12, 2022
बता दें कि भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने 7 मई को कोर्ट में याचिका दायर कर ताजमहल के 22 कमरों में से 20 कमरों को खोलने की मांग की थी।
उन्होंने इन कमरों में हिंदू-देवी-देवताओं की मूर्ति होने की आशंका जताई है। उनका कहना है कि इन बंद कमरों को खोलकर इसका रहस्य दुनिया के सामने लाना चाहिए।
याचिकाकर्ता रजनीश सिंह ने इस मामले में राज्य सरकार से एक समिति गठित करने की मांग की थी। इसके बाद से ही देश में ताजमहल के कमरों के रहस्यों को लेकर एक नई बहस छिड़ी हुई है।