इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को हटाने की मांग के साथ लामबंद हुए स्वास्थ्यकर्मी, दी सामूहिक इस्तीफे की धमकी


इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को हटाने की मांग नहीं मानें जाने पर चार हज़ार कर्मियों ने सामूहिक इस्तीफ़ा देने की धमकी दी है।


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बड़ी बात Updated On :

इंदौर। अपने तेज़ तर्रार तेवरों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने संक्रमण से कराह रहे शहर को अब मुसीबत में डाल दिया है। उनके व्यवहार से तंग आकर स्वास्थ्य अधिकारी पूर्णिमा डागरिया ने बुधवार इस्तीफ़ा दे दिया था और अब यह विवाद और भी बढ़ चुका है। स्वास्थ्यकर्मी कह रहे हैं कि वे कलेक्टर मनीष सिंह के साथ काम नहीं कर सकते और अगर उन्हें हटाया नहीं गया तो खुद ही इस्तीफा दे देंगे।

इंदौर के स्वास्थ्यकर्मियों ने एकजुट होकर कलेक्टर को हटाने की यह मांग की है।  गुरुवार शाम को बड़ी संख्या में स्वास्थ्य अधिकारी कमिश्नर कार्यालय पहुंचे और कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा। स्वास्थ्यकर्मियों ने कलेक्टर मनीष सिंह को तत्काल हटाने की मांग की है।

खास बात ये रही कि इस दौरान मंत्री तुलसी सिलावट भी यहां पहुंचे और विरोध कर रहे डॉक्टरों के साथ खड़े हो गए। यहां डॉ. पूर्णिमा गडरिया भी मौजूद रहीं। उन्होंने बताया कि यदि कलेक्टर को नहीं हटाया गया, तो सभी स्वास्थ्य कर्मचारी एक साथ सामूहिक इस्तीफा दे देंगे।

कमिश्नर को दिये गए ज्ञापन में कहा गया है, शुक्रवार सात मई की सुबह आठ बजे से लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारी काम करने में असमर्थ रहेंगे। यह अधिकारी व कर्मचारी तब तक काम नहीं करेंगे, जब तक मनीष सिंह को हटाया नहीं जाता।

ज्ञापन में लिखा गया है कि पिछले एक साल से अधिक समय से कोरोना से मध्यप्रदेश भी ग्रसित है। ऐसी स्थिति में शासन प्रशासन के द्वारा दिए गए आदेश निर्देशों का पालन करने के लिये स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है और इसमें कई लोगों की जान भी चली गई है।

स्वास्थ्य विभाग के इन कर्मचारियों ने बताया इस नाज़ुक समय पर भी स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रति कलेक्टर मनीष सिंह की भाषा संवेदना भरी नहीं होती बल्कि वे उन्हें धमकाते हैं।

कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा स्वास्थ्य की प्रथम श्रेणी महिला अधिकारी डॉ. पूर्णिमा गडरिया के साथ अमर्यादित, अभद्र भाषा एवं शब्दों का प्रयोग किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

स्वास्थ्य विभाग के संगठनों द्वारा इस संबंध में आगे की रणनीति तैयार की जा रही है। वहीं, दूसरी ओर एमजीएम में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल शुरू हो गई है। संविदाकर्मी हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं। शासन-प्रशासन से मेडिकल कर्मियों की इस जंग में सीधा खामियाजा जनता को भुगतना होगा।

स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा जिला प्रशासन के अफसरों द्वारा किए जा रहे व्यवहार का विरोध किया जा रहा है। डॉक्टर गडरिया के समर्थन में विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है।

मामले में कमिश्नर पवन शर्मा ने बताया कि उन्होंने मामले की जानकारी मुख्यमंत्री तक भेज दी है और इस बारे में वहीं से फैसला आएगा।

कलेक्टर मनीष सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का खास बताया जाता है। बीते साल लॉकडाउन के दौरान भी कलेक्टर मनीष सिंह पर कुछ कारोबारियों को संरक्षण देने के आरोप लगे थे।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी संगठनों ने सभी चिकित्सक अधिकारी नियमित, संविदा तृतीय श्रेणी, चतुर्थ श्रेणी, सभी कोरोनो सैंपलिंग, आरआरटी, होम आइसोलेशन, सीसीसी टीम व सभी फील्ड कर्मचारियों से संघर्ष करने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया गया है। संगठनों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं गईं तो सामूहिक तौर पर इस्तीफा दिया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी प्रशासनिक अधिकारियों के व्यवहार से दुखी हैं। डॉ. गड़रिया के साथ मानपुर के मेडिकल ऑफिसर डॉ. आरएस तोमर ने भी बुधवार को इस्तीफा दिया था। हालांकि उन्होंने एसडीएम अभिलाष मिश्रा पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था।


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