Covid-19: प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाने वालों के खिलाफ दर्ज हो एफआईआर- हाईकोर्ट


कोरोना संक्रमण बेकाबू है और 28 सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों को लेकर राजनीतिक दल धड़ाधड़ रैलियां कर रहे हैं। इनमें भीड़ जुट रही है और कोरोना की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ रही हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट की डबल बेंच ने ग्वालियर और दतिया एसपी को आदेश दिया है कि भीड़ जुटाने वाले नेता, राजनीतिक दलों और उन्हें न रोक पाने वाले अफसरों पर भी एफआईआर दर्ज करें।


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ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मंगलवार को राजनीतिक दलों द्वारा धड़ाधड़ रैलियां करने व भीड़ जुटाकर कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाने वाले नेताओं-पार्टियों और इन्हें नहीं रोक पाने वाले अफसरों पर कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ग्वालियर और दतिया एसपी को आदेश दिया है कि भीड़ जुटाने वाले नेता, राजनीतिक दलों और उन्हें न रोक पाने वाले अफसरों पर भी एफआईआर दर्ज करें।

याचिकाकर्ता आशीष प्रताप सिंह ने कोर्ट में बताया है कि कोरोना काल में राजनीतिक आयोजनों में भीड़ जुट रही है। इस पर तत्काल रोक लगे। इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस शील नागू व जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने आदेश में कहा कि स्पष्ट तौर पर कोविड गाइडलाइन का उल्लंघन हो रहा है। याचिकाकर्ता व न्याय मित्रों ने जो रिपोर्ट पेश की है, उससे स्पष्ट हो रहा है कि आईपीसी व आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत संज्ञेय अपराध किया गया है।

अतिरिक्त महाधिवक्ता का तर्क खारिज

इस मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी द्वारा तर्क दिया गया कि कोविड-19 की गाइडलाइन के उल्लंघन के संबंध में याचिकाकर्ता व अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी की पुष्टि कराई जा रही है। पुष्टि होते ही कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने उनके तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने ललिता कुमारी के प्रकरण में पुलिस को संज्ञेय अपराध की सूचना मिलते ही दोषी के खिलाफ अनिवार्य रूप से एफआईआर दर्ज करने के लिए निर्देशित किया गया है। सूचना की सच्चाई व प्रमाणिकता का पता लगाने का काम जांच के दौरान भी किया जा सकता है।

इस बीच राजनीतिक कार्यक्रमों में 100 लोगों के भाग लेने के प्रतिबंध को हटा लिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आठ अक्टूबर को कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए कार्यक्रम में 100 से ज्यादा लोगों को शामिल होने की अनुमति प्रदान की है। इसी के आधार पर राज्य शासन ने भी नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। याचिकाकर्ता द्वारा गृह मंत्रालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र शासन से जवाब मांगा है।



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