RTI एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने ग्वालियर पुलिस पर खड़े किए गंभीर सवाल, जब बयान देने गए तो पुलिस ने थाना छोड़ा!


RTI एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने ग्वालियर पुलिस पर भ्रष्टाचार, वसूली और अनैतिक गतिविधियों के गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस ने उन पर केस दर्ज किया, लेकिन क्या यह सच है या उन्हें फंसाया जा रहा है?


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व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर और आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने ग्वालियर पुलिस पर भ्रष्टाचार, सेक्सटॉर्शन, वसूली और जुए-सट्टे से कमाई जैसे संगीन आरोप लगाए हैं। आशीष के आरोपों के बाद से पुलिस महकमे में हलचल मची हुई है। पुलिस ने उनके खिलाफ 19 जनवरी को एक आपराधिक मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपनी सुरक्षा में तैनात जवानों से अभद्रता की थी।

इस विवाद ने ग्वालियर से लेकर भोपाल तक बहस छेड़ दी है। आशीष चतुर्वेदी का कहना है कि वे एक आम आदमी की तरह पुलिस की अनियमितताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि पुलिस उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रही है। आशीष ने बताया कि ग्वालियर पुलिस के अधिकारी ही इन सभी अनियमितताओं में लिप्त हैं।

पुलिस का जवाब: 639 जवान बदले और सालाना 1 करोड़ की सुरक्षा लागत

ग्वालियर पुलिस ने मीडिया के सामने आकर दावा किया कि आशीष चतुर्वेदी को हाई कोर्ट के आदेश पर दी गई सुरक्षा में अब तक 639 पुलिस जवान बदले जा चुके हैं और उनकी सुरक्षा पर हर साल करीब 1 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है।

पुलिस के इस बयान पर आशीष ने जवाब देते हुए कहा कि यह गुमराह करने वाली जानकारी है। उनके अनुसार, पुलिस ने पिछले करीब 10 वर्षों में छुट्टी पर जाने वाले, तबादला किए गए और साप्ताहिक तौर पर बदले गए पुलिसकर्मियों की संख्या को जोड़कर यह आंकड़ा बनाया है।

आशीष का यह भी कहना है कि उनकी सुरक्षा में कई जवान सिर्फ “खाना पूर्ति” के लिए तैनात किए जाते थे। इनमें से कुछ जवान नशे की हालत में आते थे और सुरक्षा के बजाय शराब पीकर सो जाते थे। ऐसे में उन्हें खुद ही जवानों को बदलने के लिए कहना पड़ता था।

देशगांव ने इस मामले में आशीष की सुरक्षा में तैनात रहे दो पुलिसकर्मियों से बात की, जिन्होंने चौंकाने वाले खुलासे किए।

सचिन वर्मा, जो पहले आशीष की सुरक्षा में तैनात थे, ने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने उन पर दबाव बनाया था कि वे आशीष के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराएं। इससे परेशान होकर उन्होंने पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया।

रामबरन त्यागी ने भी इसी तरह के आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें अधिकारियों ने आशीष के खिलाफ झूठी गवाही देने के लिए मजबूर किया था।

इन दोनों सुरक्षा कर्मियों का कहना है कि आशीष ने कभी भी उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मनगढ़ंत हैं।

पुलिस का पलटवार: पुराना ऑडियो वायरल कर केस दर्ज

जब आशीष ने ग्वालियर पुलिस के भ्रष्टाचार और अनैतिक कार्यों के खिलाफ बोलना शुरू किया, तो पुलिस ने उनका एक पुराना ऑडियो जारी किया, जिसमें कथित तौर पर वे अपनी सुरक्षा में लगे जवानों से अभद्र भाषा में बात कर रहे थे। इसी आधार पर पुलिस ने उनके खिलाफ 19 जनवरी को मामला दर्ज कर लिया।

आशीष ने इस ऑडियो को फर्जी करार दिया और कहा कि यह करीब दो साल पुराना है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर यह मामला इतना गंभीर था, तो पुलिस ने अब तक इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की थी?

उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस खुद अपने ही कर्मचारी पर हुए कथित दुर्व्यवहार की शिकायत दो साल बाद दर्ज कर रही है, तो आम नागरिकों के साथ क्या न्याय होगा?

बयान दर्ज कराने गए, लेकिन पुलिस भाग गई!

केस दर्ज होने के बाद आशीष खुद सोमवार को झांसी रोड थाने पहुंचे और अपने बयान दर्ज कराने की मांग की। लेकिन पुलिस ने इस पर कोई रुचि नहीं दिखाई।

आशीष के अनुसार, जब उन्होंने जोर दिया तो थाने में मौजूद कई पुलिसकर्मी बाहर चले गए। इससे पहले भी आशीष अपनी गुमशुदगी से जुड़े एक पुराने मामले में बयान दर्ज करवाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अब तक पुलिस ने उन्हें रिकॉर्ड में गुमशुदा ही रखा हुआ है।

आरोप: पुलिस के भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों को फंसाने की साजिश?

ग्वालियर पुलिस पर आशीष के आरोप बहुत गंभीर हैं। उन्होंने एसपी धर्मवीर यादव, सीएसपी हिना खान और अन्य पुलिस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, वसूली और अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाए हैं। पिछले दिनों जब इस बारे में पुलिस अधीक्षक से बात करने की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

आशीष का दावा है कि जब उन्होंने इन अधिकारियों के खिलाफ बोलना शुरू किया, तो उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ग्वालियर पुलिस ने मीडिया का इस्तेमाल कर उनके चरित्र पर हमला किया, लेकिन अब तक उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।

 पुलिस  छिपा रही अपना भ्रष्टाचार?

यह पहला मौका नहीं है जब आशीष चतुर्वेदी को पुलिस और सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत चुकानी पड़ी हो। व्यापमं घोटाले के गवाह बनने के बाद से ही उन्हें लगातार धमकियां और दबाव झेलना पड़ा है।

इस बार उनके आरोपों ने ग्वालियर पुलिस की छवि को झटका दिया है। आशीष का कहना है कि पुलिस अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है।

इस पूरे मामले में आशीष चतुर्वेदी किसी प्रभावशाली पद पर नहीं हैं, बल्कि एक आम आदमी की तरह अकेले ही पुलिस की अनियमितताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

उन्होंने साफ कहा है कि वे किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और ग्वालियर पुलिस की विवादित कार्यशैली को उजागर करते रहेंगे।



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