दिल्ली को तीनों ओर से घेर कर बैठे हुए हजारों किसानों के तेवर और दृढ़ता को देखते हुए मोदी सरकार अब बेचैन हो उठी है और इसलिए अब 3 दिसम्बर से पहले आज ही वार्ता के लिए किसान यूनियनों के नेताओं को विज्ञान भवन आने का निमंत्रण दिया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, अगले दौर के वार्ता के लिए पहले 3 दिसम्बर की तारीख निर्धारित की गयी थी। किंतु किसान इस ठण्ड में आन्दोलन कर रहे हैं और कोरोना भी है इसलिए मीटिंग जल्दी होनी चाहिए तो पहले दौर के वार्ता में शामिल किसान नेताओं को एक दिसम्बर को 3 बजे विज्ञान भवन में बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।
कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने एक पत्र जारी कर किसान यूनियन के नेताओं को भारत सरकार के मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति से बातचीत के लिए नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में बुलाया है। कृषि मंत्रालय ने कुल 32 यूनियनों और उनके नेताओं को वार्ता के लिये आमंत्रित किया है। पहले छह नाम निम्न लिखित हैं –
1. डॉ. दर्शन पाल, राज्य अध्यक्ष, क्रांतिकारी किसान यूनियन, पंजाब
2. कुलवंत सिंह संधू, महासचिव, जम्हूरी किसान सभा, पंजाब
3. बूटा सिंह बुर्जगिल, भारतीय किसान सभा दकौंदा
4. बलदेव सिंह निहालगढ़, महासचिव, कुल हिंद किसान सभा, पंजाब
5. निर्भय सिंह धुंदिके, अध्यक्ष, कीर्ति किसान यूनियन, पंजाब
6. रूलदू सिंह मानसा, अध्यक्ष, पंजाब किसान यूनियन
Sanjay Agrawal
कृषि मंत्री ने कहा कि, जब कृषि विधेयक लाये गये थे तब किसानों को कुछ शंकाएं थीं जिसके चलते 14 अक्तूबर और 13 नवम्बर को दो दौर की वार्ताएं की। तब भी किसानों से आन्दोलन में न जाने की अपील की थी और कहा था कि सरकार वार्ता के लिए तैयार है।
नए कृषि कानूनों के प्रति भ्रम को दूर करने के लिए मैं सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों एवं किसान भाइयों को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूँ।@AgriGoI pic.twitter.com/3mttdQhtl0
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) November 30, 2020
बता दें कि इससे पहले, सोमवार 30 नवंबर को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआइकेएससीसी) द्वारा जारी बुलेटिन में कहा गया था कि, पंजाब के सभी 30 संगठनों, एआईकेएससीसी तथा अन्य किसान संगठनों ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बुरारी जाने की अपील को स्पष्ट रूप से खारिज करके सही फैसला लिया है। वे सभी इस अपील में किसानों को बांध लेने और वार्ता तथा समस्या के समाधान के प्रति भ्रम पैदा करने के प्रयास देख रहे हैं। उन्होंने सशर्त वार्ता को नकार कर और सरकार द्वारा इस ओर कोई भी गम्भीर प्रयास के प्रति दरवाजे खुले रखकर उचित निर्णय लिया है।
एआइकेएससीसी ने कहा था कि ,देश के किसान यहां एक ही उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दिल्ली में हैं और लगातार उनकी ताकत बढ़ती जा रही है और वह है 3 खेती के कानून तथा बिजली बिल 2020 को रद्द कराना। उनकी और कोई भी मांग नहीं है। वे जोर देकर सरकार को यह बताना चाहते हैं कि वे सभी इन कानूनों के प्रभाव को पूरी तरह समझते हैं। हर प्रदर्शनकारी इस बारे में स्पष्ट भी है और मुखर भी।
अगर कोई ऐसा पक्ष है जो इस बात को नहीं समझ रहा है तो वे हैं प्रधानमंत्री, उनके कैबिनेट मंत्री, उनके अधिकारी, उनके विशेषज्ञ और उनके सलाहकार, जो नहीं समझ रहे कि किसान इन कानूनों को ठेका खेती द्वारा अपनी जमीन के मालिकाना हक पर हमला समझते हैं, अपनी आमदनी पर हमला समझते हैं और जानते हैं कि कर्जे बढ़ेंगे, समझते हैं कि सरकारी नियंत्रण समाप्त होकर बड़े प्रतिष्ठानों को विदेशी कम्पनियों का खेती के उत्पादन तथा खाने के प्रसंस्करण, बाजार व बिक्री पर नियंत्रण स्थापित हो जाएगा। आश्वस्त दाम व खरीद समाप्त हो जाएगी, सरकारी भंडारण व खाने की आपूर्ति बंद हो जाएगी, किसानों की आत्महत्याएं बढ़ेंगी, खाने के दाम बढ़ेंगे और कालाबाजारी बढ़ेगी तथा राशन व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।