नई दिल्ली। भारत में ‘ग्लोबल मिलेट्स सम्मेलन’ होने जा रहा है। यह महज एक सम्मेलन तक ही सीमित नहीं बल्कि विश्व के भविष्य के लिए समग्र समाधान बनेगा। इसी दूरदृष्टि के साथ केंद्र सरकार तेजी से कार्य कर रही है।
इस क्रम में ‘ग्लोबल मिलेट्स सम्मेलन’ आयोजन करने का बीड़ा सरकार ने स्वयं अपने कंधों पर उठाया है। मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा एक बड़ी पहल की जा रही है।
इस उपलक्ष में नई दिल्ली में दो दिवसीय (18 और 19 मार्च, 2023) कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। मिलेट्स यानि ‘श्री अन्न’ को अपनाने एवं बढ़ावा देने के लिए सुब्रमण्यन हॉल, NASC कॉम्प्लेक्स, IARI, पूसा कैंपस, नई दिल्ली में ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा।
कृषि जगत की कई दिग्गज हस्तियां जुटेंगी –
बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में कृषि जगत की कई दिग्गज हस्तियां भी जुटने वाली हैं। इस सम्मेलन के माध्यम से ज्वार, बाजरा, रागी, सावा, कोदो, कंगनी, कुटकी, चीना इत्यादि ‘श्री अन्न’ को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने पर चर्चा की जाएगी।
विश्व स्तरीय मिलेट्स को मिलेगा खूब बढ़ावा –
ऐसे में जाहिर है विश्व स्तरीय इस आयोजन के जरिए दुनिया में मिलेट्स को खूब बढ़ावा मिलने वाला है। इससे पहले भारत ने इसकी रिकॉग्निशन (पहचान) दिलाने के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (IYM)-2023 के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के समक्ष प्रस्तुत किया था, जिसे बाद में स्वीकार कर लिया गया था।
भारत मिलेट्स को वैश्विक स्तर पर ले जाने की यात्रा में यहीं नहीं रुकने वाला था, इसलिए इसने इसका नामकरण भी ‘श्री अन्न’ के रूप में कर डाला।
याद हो, इसी श्रृंखला में ‘अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष-2023’ के पूरे साल चलने वाले उत्सव से पहले कृषि और किसान कल्याण विभाग ने संसद भवन में सांसदों के लिए एक विशेष ‘मिलेट्स लंच’ का भी आयोजन किया था।
सरकार के इन तमाम प्रयासों से ही आज पूरी दुनिया मिलेट्स को ‘श्री अन्न’ के रूप में जान रही है। मिलेट्स को ‘श्री अन्न’ नाम दिए जाने के पीछे एक मूल कारण भी बताया जाता है।
दरअसल, एक समय पर इसे मोटे अनाज के रूप में एक आदर्श भोजन बताते हुए दुनिया के एक वर्ग ने मिलेट्स को गरीबों और पक्षियों का भोजन कह कर दरकिनार कर दिया था, आज दुनियाभर में स्वास्थ्य के लिए मिलेट्स को बेहतर बताया जा रहा है।
भारत के लिए यह साल बहुत ही अहम –
ग्लोबल मिलेट्स सम्मेलन के मद्देनजर यह साल भारत के लिए बहुत ही अहम माना जा रहा है, क्योंकि भारत 2023 में G20 की मेजबानी कर रहा है। साथ ही यह साल अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में भी मना रहा है।
सरकार द्वारा मिलेट्स को G20 बैठकों का भी एक अभिन्न हिस्सा बनाया गया है। इसके तहत प्रतिनिधियों को इसे चखने, किसानों से मिलने और स्टार्ट-अप व एफपीओ के साथ संवादात्मक सत्रों के माध्यम से मिलेट्स को लेकर अनुभव प्रदान किया जा रहे हैं।
ऐसे में देश के नागरिकों की भी ये जिम्मेदारी बनती है कि वह सरकार की इस मुहिम में साथ दें। मिलेट्स सिर्फ अनाज नहीं बल्कि आजीविका उत्पन्न करने, किसानों की आय बढ़ाने और पूरे विश्व में खाद्य व पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी बड़ी क्षमता को देखते हुए कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।
सदियों से होता आ रहा मिलेट्स का इस्तेमाल –
ज्ञात हो, मिलेट्स का इस्तेमाल भारत में सदियों से होता आ रहा है। जी हां, सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान भी ‘मिलेट्स’ का इस्तेमाल हुआ करता था। इस संबंध में कई साक्ष्य बताते हैं कि यह भारत में पैदा की जाने वाली पहली फसलों में से एक थी।
वर्तमान में 130 से अधिक देशों में मिलेट्स का उत्पादन किया जाता है। इसे पूरे एशिया और अफ्रीका में 50 करोड़ से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है।
वहीं, भारत में मिलेट्स मुख्य रूप से एक खरीफ फसल है, जिसमें अन्य समान फसल की तुलना में कम जल और कृषि साधनों (इनपुट) की जरूरत होती है।
क्या है मिलेट्स के फायदे –
मिलेट्स खाने के अपने कई फायदे भी हैं। जैसे कि यह स्थायी और अनुकूलनीय है। इसे उगाने के लिए कम जल की आवश्यकता होती है। यह ग्लूटेन मुक्त आहार है। वजन बढ़ाने में ग्लूटेन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और शरीर का वजन बढ़ने के कारण कई रोग भी लग जाते हैं इसलिए सभी विशेषयज्ञ ग्लूटेन फ्री डाइट की सलाह देते है।
इसके अलावा मिलेट्स सुनिश्चित खाद्य एवं सुरक्षित पोषण का अहम जरिया है। ऐसे में यह जैव विविधता का संरक्षक माना गया है। इन सारे फायदों से स्पष्ट हो जाता है कि हमारे शरीर के सही विकास के लिए मिलेट्स हमारे लिए कितने फायदेमंद है।
वैश्विक बाजार में मिलेट्स की बढ़ोतरी की दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान –
2021-2026 की पूर्वानुमान अवधि के दौरान वैश्विक बाजार में मिलेट्स की बढ़ोतरी की दर (CAGR) 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। PM मोदी ने भारत को ‘मिलेट्स के लिए वैश्विक केंद्र’ के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ IYM-2023 को ‘जन आंदोलन’ बनाने के लिए अपनी सोच को साझा किया था।
अब इस कार्यक्रम को आगे ले जाने का जिम्मा केवल सरकार तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि देश और दुनिया के लोगों पर भी है।