कांग्रेस छोड़ते हुए गुलाम नबी आजाद ने सोनिया को लिखा- राहुल के उपाध्यक्ष बनने के बाद बर्बाद हुई पार्टी


इस्तीफे वाली चिट्ठी में गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे के कारण व पार्टी के हालात को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस चिट्ठी में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर काफी सख्त बयान दिया गया है और उन्हें ही कांग्रेस की बर्बादी का कारण बताया है।


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नई दिल्ली। गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को उन्होंने पांच पन्ने का इस्तीफा भेजा है।

इस इस्तीफे वाली चिट्ठी में उन्होंने अपने इस्तीफे के कारण व पार्टी के हालात को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस चिट्ठी में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर काफी सख्त बयान दिया गया है और उन्हें ही कांग्रेस की बर्बादी का कारण बताया है।

आजाद ने राहुल गांधी के बारे में लिखा है कि दुर्भाग्य से राजनीति में राहुल गांधी की एंट्री और खासतौर पर जब जनवरी 2013 में उन्हें उपाध्यक्ष बनाया गया, तब उन्होंने पार्टी में चली आ रही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया और गैरअनुभवी चापलूसों का नया ग्रुप बन गया, जो पार्टी चलाने लगा।

इतना ही नहीं आजाद यह भी लिखते हैं कि 2014 में सोनिया गांधी और उसके बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस शर्मनाक तरीके से 2 लोकसभा चुनाव हारी। 2014 से 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से हम 39 चुनाव हार गए।

पार्टी ने केवल 4 राज्यों के चुनाव जीते और 6 मौकों पर उसे गठबंधन में शामिल होना पड़ा। अभी कांग्रेस केवल 2 राज्यों में शासन कर रही है और 2 राज्यों में गठबंधन में उसकी भागीदारी मामूली है।

हार के बाद राहुल गांधी ने झुंझलाहट में अध्यक्ष पद छोड़ दिया, लेकिन उससे पहले उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति में हर वरिष्ठ नेता का अपमान किया, जिन्होंने पार्टी के लिए अपनी जिंदगी दी। इसके बाद सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनीं और पिछले 3 साल से यह जिम्मेदारी संभाल रही हैं।

वे आगे लिखते हैं कि अभी भी बुरी बात यह है कि यूपीए सरकार की अखंडता को तबाह करने वाला रिमोट कंट्रोल सिस्टम अब कांग्रेस पर लागू हो रहा है। सोनिया गांधी बस नाम के लिए इस पद पर बैठी हैं। सभी जरूरी फैसले राहुल गांधी ले रहे हैं, उससे भी बदतर यह है कि उनके सुरक्षाकर्मी और पीए ये फैसले ले रहे हैं।

बता दें कि आजाद कई दिनों से कांग्रेस हाईकमान के फैसलों से नाराज थे। इसी महीने 16 अगस्त को कांग्रेस ने आजाद को जम्मू-कश्मीर प्रदेश कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन आजाद ने अध्यक्ष बनाए जाने के 2 घंटे बाद ही पद से यह कहते हुए अपना इस्तीफा दे दिया था कि यह उनका डिमोशन है।

इतना ही नहीं 73 वर्षीय आजाद अपनी सियासत के आखिरी पड़ाव पर फिर प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालना चाह रहे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी बजाय 47 साल के विकार रसूल वानी को ये जिम्मेदारी दे दी।

बता दें कि विकार रसूल वानी को गुलाम नबी आजाद का बेहद करीबी बताया जाता है और वह बानिहाल से विधायक रह चुके हैं। हालांकि, आजाद को यह फैसला पसंद नहीं आया क्योंकि कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व आजाद के करीबी नेताओं को तोड़ रहा है और आजाद को यह नागवार गुजरा।


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