पूर्व केंद्रीय मंत्री असलम शेर खान ने कहा- नेहरू-गांधी परिवार को छोड़कर बनना चाहिए कांग्रेस अध्यक्ष


असलम शेर खान ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व पर सवाल खड़े किए बल्कि मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन का दोषी उन्होंने कांग्रेस की नीतियों को बताया। इसके साथ ही केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने किसानों और किसान आंदोलन का बचाव किया।


आकाश धोलपुरे
बड़ी बात Updated On :
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इंदौर। अपनी बयानबाजी को लेकर हमशा चर्चा में रहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और हॉकी में ओलिंपिक पदक विजेता असलम शेर खान इंदौर पहुंचे। इंदौर में न सिर्फ असलम शेर खान ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व पर सवाल खड़े किए बल्कि मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन का दोषी उन्होंने कांग्रेस की नीतियों को बताया। इसके साथ ही केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने किसानों और किसान आंदोलन का बचाव किया।

कभी कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री असलम शेर खान आज भी अपनी बात पर अडिग हैं। उन्होंने इंदौर में मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि यदि उन्हें दो साल का मौका मिले तो वो कांग्रेस को दोबारा उठा सकते हैं।

इंदौर में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनना चाह रहे हैं तो नेहरू-गांधी परिवार का सवाल ही नहीं उठता और कोई बाहरी व्यक्ति को अध्यक्ष बनना चाहिए। जब राहुल गांधी ही कह चुके तो फिर किस बात की देरी हो रही है। जल्द ही इस मसले का हल होना चाहिए।

इधर, मध्यप्रदेश को लेकर उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में अब कोई खींचतान ही नहीं रही है। उन्होंने बताया कि कमलनाथ पर निर्भर है कि वो दिल्ली में रहें या मध्यप्रदेश में रहकर काम करें। ऐसी कोई खींचतान नहीं है।

असलम शेर खान ने कहा कि सबसे बड़ी बात है ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस पार्टी से जाना। यदि सिंधिया को ये लोग कांग्रेस में सम्मान देते तो आज प्रदेश में सरकार नहीं गिरती। मध्यप्रदेश में सरकार गिरी है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने से और नई सरकार बनी सिंधिया के समर्थन से। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात हुई है मध्यप्रदेश की कांग्रेस के लिए कि जो एक चेहरा था और एक बड़ा फ्यूचर था। खास तौर से मैज्योरिटी कम्युनिटी के अंदर युवा ज्योतिरादित्य को काफी पसंद करते हैं।

वहीं उन्होंने कहा कि 2009 में कांग्रेस पार्टी को ये बात तय कर लेनी थी कि कोई पॉलिटिकल लीडर को पीएम बनाना था और यदि उस समय प्रणव मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया जाता तो आज कांग्रेस को ये दिन नहीं देखने पड़ते। इसी तरह से कांग्रेस को जल्द ही कोई नया अध्यक्ष बनाना चाहिए और कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव नहीं होने से समूचे भारत मे कांग्रेस को नुकसान हुआ है और संगठन इतना कमजोर हुआ है।

केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि केंद्र की मत मारी जा रही है कि वो जिस तरह से किसानों को डील कर रहे हैं और हठधर्मिता कर रहे हैं। किसानों के नजरिये से यदि बिल को रद्द करना चाहिए तो सरकार को ये बात मानकर रद्द कर किसानों को बिठाना चाहिए था। सरकार इस मामले जितनी देरी कर रही है, जिद ही नहीं बल्कि किसानों के मूवमेंट को तोड़ना चाह रही है।

उन्होंने बताया कि मेरे राजनैतिक जीवन मे तीन आंदोलन का प्रभाव मैंने देखा जिसमें सरकार सत्ता से बाहर हो गई। फिर वो बोफोर्स घोटाले को लेकर किया गया आंदोलन हो या फिर मंडल कमिशन की सिफारिश लागू करने के संदर्भ में आंदोलन हो। इसके अलावा करप्शन को लेकर अन्ना हजारे का आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि उसके बाद ही तख्ता पलट हुआ और मोदी ने लोगों के दिल मे घर किया।

वहीं किसान आंदोलन का जिक्र कर उन्होंने कहा कि इसके दूरगामी परिणाम बीजेपी सरकार को भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी और किसान आंदोलन के बाद लोगों को जैसे बजट का इंतजार था ऐसे बजट में कुछ खास नहीं है। वहीं खेलों को लेकर सरकार के रवैये पर भी पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सवाल उठाए।


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