भोपाल। हजारों करोड़ के ई टेंडर घोटाले की जांच की तकनीकी गड़बड़ी के कारण रुकती नजर आ रही है। इस मामले में 19 हार्ड डिस्क जब्त की गई थी। इनमें से पांच हार्ड डिस्क में से अब तक डेटा नहीं निकाला जा सका है। बताया जाता है कि इनमें करीब 25 टेंडरों की जानकारी है।
राज्य के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ यानी ईओडब्ल्यू ने जो 19 हार्ड डिस्क सेट किए थे उन्हें दिल्ली के इंडियन कंप्यूटर में इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT) को जुलाई 2019 में सौंपा गया था। करीब 14 महीनों तक इंतजार करने के बाद CERT ने पिछले दिनों ईओडब्ल्यू को जानकारी दी की वह यह हार्ड डिस्क नहीं खोल पा रहे हैं।
इस तकनीकी एजेंसी ने स्पष्ट किया कि हार्ड डिस्क के क्लोन करप्ट कर दिए गए हैं जिसके चलते हैं इनसे डाटा नहीं निकाला जा सकता। बताया जाता है कि यह हार्ड डिस्क ईओडब्ल्यू के पास वापस भी लौटा दिए गए हैं।
इस टेंडर घोटालेे पर अप्रैल 2019 में ईओडब्ल्यू ने पहली एफ आई आर दर्ज की थी। इसके बाद 8 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था जिनमें 3 सरकारी कर्मचारी थे। अब तक जांच एजेंसी ने केवल एक ही चार्जशीट फाइल की है जिसमें 21 लोगों के नाम है। इनमें उन पांच कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स भी शामिल है जिनके नाम इस घोटाले से जुड़ रहे हैं। हालांकि इस मामले में अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है।
बताया जाता है कि इस घोटाले में करीब तीन हजार करोड़ रुपयों के मूल्य के टेंडरों में गड़बड़ी की आशंका है। जिसके ठोस सुबूत तलाशे जा रहे हैं। हालांकि जांच एजेंसियों का यह भी मानना है कि प्रदेश के राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम द्वारा जारी किए गए टेंडरों की कुल राशि करीब अस्सी हजार करोड़ रुपए तक हो सकती है।
ईओडब्ल्यू के एसपी राजेश मिश्रा के मुताबिक
अब सब कुछ तकनीकी जांच एजेंसी CERT की रिपोर्ट पर तय है। उन्होंने सभी पांच हार्डडिस्क वापस भेज दी हैं और अब इनकी डिस्क इमेजिंग कर कर CERT को वापस भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब तक उन्हें किसी राजनेता के इस घोटाले से जुड़े होने की कोई सबूत नहीं मिले हैं। ऐसे में वित्तीय अनियमितता का यह पैमाना बढ़ भी सकता है। जांच एजेंसियों को अगर ऐसा नजर आता है तो उन मामलों पर भी जांच की जाएगी।
साभार: हिंदुस्तान टाइम्स
रिपोर्टर: श्रुति तोमर