कांग्रेस विधायक उमंग सिंगार के खिलाफ खारिज होगी पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई FIR, ऐतिहासिक है हाईकोर्ट का यह फैसला


सिंगार के खिलाप उनकी पत्नी ने धारा 377 में शिकायत की थी लेकिन कोर्ट ने पाया कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप धारा 375, 76 और 77 तीनों में ही नहीं आते।


आशीष यादव आशीष यादव
बड़ी बात Updated On :

कांग्रेस विधायक उमंग सिंगार को चुनाव से ठीक पहले बड़ी राहत मिली है। साल 2022 में उनकी पत्नी के द्वारा उन पर अप्राकृित यौन संबंध  धारा 377 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी ने इस बारे में फैसला सुनाया। इससे पहले सिंगार ने  इंदौर के एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में जमानत की याचिका लगाई थी लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था।

हाईकोर्ट का यह फैसला अपने आप में नज़ीर है क्योंकि इससे पहले शायद ही कोई ऐसा मामला देखने को मिला है जहां कोर्ट ने वकील की दलीलें सुनने के बाद आईपीसी की धारा 377 के प्रकरण में सीधे एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया है। यह अपने आप में ऐतिहासिक फैसला है और इसका हवाला आने वाले कई वर्षों तक दिया जाएगा, जाहिर है इसके बाद कोई पत्नी अपने पति के खिलाफ धारा 377 में प्रकरण दर्ज नहीं करवा सकेगी।

सिंगार शुरु से कहते आए हैं कि उनकी दूसरी पत्नी के द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं। वहीं उनकी ओर से पैरवी कर रहे इंदौर हाईकोर्ट के वकील विभोर खंडेलवाल ने दलील दी कि आदिवासी तीन शादियां कर सकते हैं और शादी के बाद बनाए गए शारिरिक संबंधों को अप्राकृतिक यौन संबंध के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।

IPC की धारा 375, 76 और 377

इस मामले में सिंगार के वकील विभोर खंडेलवाल ने उनके पक्ष में जो सबसे मजबूत दलील दी वह थी एफआईआर के आधार को गलत बताना। खंडेलवाल ने अपनी दलील में कहा कि कि आईपीसी की धारा 375 को भी रेप माना जाता है जहां पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला के साथ उनकी मानसिक अवस्था का लाभ उठाकर उसकी इच्छा के विरुद्ध दुष्कर्म किया जाता है और यह धारा 377 भी नहीं हो सकती क्योंकि विवाह के बाद बनाए गए शारिरिक संबंधों में अगर किसी तरह का असमान्य व्यवहार होता है तो वह धारा 377 में परिभाषित अप्राकृतिक यौन संबंध के रूप में नहीं दर्शाया जा सकता है क्योंकि उस समय पत्नी अपनी इच्छा से वहां मौजूद होती है।

खंडेलवाल ने तर्क दिया कि यह मामला धारा 376 में भी दर्ज नहीं हो सकता है क्योंकि भारतीय न्याय संहिता ऐसे कई मामलों में पति को आरोपों से सुरक्षित रखती है। ऐसे में सिंगार पर लगाए गए आरोप न तो धारा 375, न ही धारा 376 और न ही एफआईआर में उल्लेखित धारा 377 के तहत आते हैं। यही वजह रही कि कोर्ट ने उक्त एफआईआर को रद्द कर दिया है।

दस करोड़ रु की मांग!

सिंगार ने अपनी याचिका में कहा कि कुछ समय पहले शिकायतकर्ता पत्नी के साथ दूसरी शादी हुई और इसके बाद से ही उनकी पत्नी लगातार हिंसक हो रहीं थीं और सिंगार के स्टाफ के साथ भी उनका व्यवहार सही नहीं  था। ऐसी ही एक घटना के बाद उक्त महिला ने सिंगार के खिलाफ 2 नवंबर को एफआईआर दर्ज करवाई थी। जिसके बाद से उन पर दस करोड़ रुपए देने के लिए भी दबाव बनाया गया। सिंगार ने कोर्ट से कहा कि उनकी पत्नी के द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं।

मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और विधायक उमंग सिंगार के खिलाफ उनकी पत्नी ने अप्राकृतिक यौन संबंध के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई थी। जिसके बाद विधायक उमंग सिंगार के खिलाफ रेप सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। पूर्व मंत्री उमंग सिंगार की पत्नी ने धार जिले में उमंग सिंगार के खिलाफ आप प्राकृतिक यौन शोषण दुष्कर्म और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाई थी। एफआईआर होंने के बाद से ही कांग्रेस विधायक फरार चल रहे थे।

खारिज हो गई थी जमानत

कांग्रेस विधायक के खिलाफ उमंग सिंगार की ओर से एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट इंदौर में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया था, लेकिन उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया, इसके बाद उमंग सिंगर ने जबलपुर हाईकोर्ट में अपनी जमानत याचिका दायर की थी।

राजनीति

यह फैसला सिंगार और कांग्रेस दोनों के लिए राहत भरा साबित होगा। सिंगार अपने क्षेत्र कुक्षी में चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं और इससे पहले उन्हें गिरफ्तारी से बचने के लिए काफी समय तक फरार भी रहना पड़ा। इस दौरान उनकी सार्वजनिक छवि को भी खासा नुकसान पहुंचा। ऐसे में कहा जा सकता है कि हाईकोर्ट ने उन्हें अब तक की सबसे बड़ी राहत दी है। जिसके चलते वे चौथी बार चुनाव में उतर पाएंगे।



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