नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के तेज होते प्रदर्शन में कुछ और तेजी नजर आ रही है। अब इस आंदोलन को वकीलों का भी साथ मिल गया है। सरकार और 35 किसान यूनियनों के नेताओं के बीच 1 दिसंबर की वार्ता बेनतीजा समाप्त होने के बाद 3 दिसंबर को यानि गुरुवार को अगले दौर की बातचीत होनी है। इससे पहले तय हुआ है कि कृषि विधेयकों पर किसान अपनी समस्याएं और आपत्तियों को लिखकर सरकार को दें। अब इस बारे में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का बयान आया है।
कृषि मंत्री ने कहा -भारतीय किसान यूनियन को जो ड्राफ्ट देना था वो रात तक आएगा। हम इंतजार में हैं। जब उनका ड्राफ्ट आएगा तो हम कल उस पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि, कल 3 दिसंबर को किसान यूनियन के लोग आने वाले हैं, वो अपना पक्ष रखेंगे, सरकार अपना पक्ष रखेगी। देखते हैं कहां तक समाधान हो सकता है।
We will hold discussions with farmers' leaders tomorrow. Let's see to what extent issues can be resolved: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar pic.twitter.com/iT7Tf5j8ct
— ANI (@ANI) December 2, 2020
I appeal to the farmers that the laws are in their interest and the reforms have been done after a long wait, but if they have any objection to it then we are ready to address their concerns: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar
— ANI (@ANI) December 2, 2020
इस बीच आरएसएस से संबध भारतीय किसान संघ ने भी कहा कि एमएसपी की गारंटी देने वाला एक राष्ट्रीय कानून की जरुरत है जिसमें यह तय हो कि जो किसान अपना अनाज कहीं भी बेचने के लिए जाए चाहे मंडी हो या मंडी के बाहर लेकिन उसे एमएसपी से नीचे नाम नहीं मिलना चाहिए।
RSS affiliated farmers body questions government on farm laws#FarmersProtest pic.twitter.com/moIsAMSTlo
— NDTV (@ndtv) December 2, 2020
वहीं बार काउन्सिल ने भी मोदी सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है। बार काउन्सिल के सीनियर एडवोकेट एच एस फुल्का ने कहा कि यह कानून किसान विरोधी हैं और वकीलों के खिलाफ़ भी हैं, क्योंकि यह कानून सिविल कोर्ट के न्यायिक क्षेत्र में नहीं आता और किसानों को न्याय नहीं मिलेगा।
Bar Council condemns the three farm laws & will write to the Prime Minister to repeal them as it is against the farmers. It is also against the lawyers as it bars the Civil Court’s jurisdiction & won’t let farmers get justice: Senior Advocate HS Phoolka pic.twitter.com/eE5kaNu606
— ANI (@ANI) December 2, 2020
क्रांतिकारी किसान यूनियन ने भी इन कानूनों को वापस लेने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
उधर किसान 3 दिसंबर को मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना सहित देश भर में पूंजीवाद और पूंजीवादियों के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी में जुटे हैं।
We'll burn effigies in every district of Maharashtra tomorrow & on 5th Dec in Gujarat to protest against Centre. Tomorrow is last chance for govt to take decision to repeal the laws otherwise this movement will become huge & govt will fall: Pratibha Shinde, Lok Sangharsh Morcha pic.twitter.com/VlGpQgRfPU
— ANI (@ANI) December 2, 2020
लोक संघर्ष मोर्चा ने 3 को पूरे महाराष्ट्र में और 5 दिसंबर को गुजरात में अडानी, अंबानी के साथ मोदी के पुतले दहन का ऐलान किया है।