नई दिल्ली। प्रकाश पर्व पर दिल्ली की सीमा सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन पर बैठे किसानों की जीत हुई है। केंद्र सरकार ने अपने तीनों कृषि कानून वापिस ले लिये हैं। इसकी प्रक्रिया अगले महीने होने वाले संसदीय सत्र में शुरु की जाएगी। शुक्रवार को गुरु नानक देव के जयंती पर राष्ट्र के नाम पर दिये गए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसका ऐलान किया है। हालांकि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि कानून गलत नहीं था लेकिन वे किसानों को इसके लाभ समझा नहीं सके। उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन के दौरान करीब सात सौ किसानों की मौत हो चुकी है। ऐसे में सरकार का यह फैसला किसानों का दर्द किस हद तक मिटा पाएगा यह कहना फिलहाल मुश्किल है।
प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा है कि आंदोलन जल्द खत्म नहीं होगा।
आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा ।
सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें : @RakeshTikaitBKU#FarmersProtest
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) November 19, 2021
इस फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जनवरी में दिया गया बयान भी चर्चाओं में रहा। जहां उन्होंने कहा था कि सरकार अपने इन तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए बाध्य होगी।
देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया।
अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो!जय हिंद, जय हिंद का किसान!#FarmersProtest https://t.co/enrWm6f3Sq
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 19, 2021
मोदी ने कहा कि हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें एतराज था उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। साथियों मैं आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। मैं आज यह पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम इसे वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर देंगे।
मोदी ने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियों आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरुनानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। यह भी बेहद सुखद है कि डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुल गया है। गुरुनानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। न जाने कितनी पीढ़ियां जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन्हें साकार करने की कोशिश कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा
मैंने किसानों की परेशानियों और चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है। जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा का मौका दिया, तो हमने किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। बहुत लोग अनजान हैं कि देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हैक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है।
मोदी ने कहा कि ये किसान इसी जमीन से अपने परिवार का गुजारा करते हैं, इसलिए देश के छोटे किसानों की परेशानियों को दूर करने के लिए बाजार, बीमा, बीज और बचत पर चौतरफा काम किया। हमने किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ नीम कोटेड यूरिया और सॉयल हेल्थ कार्ड जैसी सुविधा दी। इन प्रयासों से प्रोडक्शन बढ़ा। हमने फसल बीमा योजना से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा। बीते चार साल में एक लाख करोड़ से अधिक का मुआवजा किसान भाई-बहनों को मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा
हम छोटे किसानों के लिए बीमा और पेंशन की सुविधा भी लाए। हम उनकी सुविधाओं को ध्यान रखते हुए उनके खातों में सीधे एक लाख 62 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। उन्हें उनकी उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी कई कदम उठाए। इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया, MSP बढ़ाई। इससे उपज के पिछले कई रिकॉर्ड टूट गए है। देश की मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़कर किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने का प्लेटफॉर्म दिया। कृषि मंडियों पर करोड़ों रुपए खर्च किए। पहले के मुकाबले देश का कृषि बजट 5 गुना बढ़ गया है।
हम छोटे किसानों के फायदे के लिए तीनों कृषि कानून लाए थे
मोदी ने कहा कि किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए दस हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की भी प्लनिंग है, इस पर 7 हजार करोड़ रुपए का फंड खर्च किए जा रहे हैं। हमने क्रॉप लोन बढ़ा दिया। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। पूरी ईमानदारी से काम कर रही है। साथियों किसानों की इसी अभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। देश के किसानों को खासकर छोटे किसानों को फायदा हो। यह मांग देश में लंबे समय से होती रही थी। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई मंथन हुआ और यह कानून लाए गए। देश में अनेक किसान संगठनों ने इसका संमर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं। धन्यवाद करता हूं।
आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है।
इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को Repeal करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) November 19, 2021
मोदी ने कहा- नेक नीयत से कानून लाए, लेकिन समझा नहीं पाए
हमारी सरकार किसानों के लिए खासकर छोटे किसानों के हित में पूरी सत्य निष्ठा से किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से यह कानून लेकर आई थी, लेकिन यह हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें एतराज था, उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का नही है। मैं आज यह पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर देंगे।
तीनों कृषि कानून, जिनके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे किसान
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
इस कानून में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है, जहां किसानों और कारोबारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी होगी। कानून में राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। साथ ही मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम करने की बात भी इस कानून में है।
2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
इस कानून में कृषि करारों (एग्रीकल्चर एग्रीमेंट) पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। ये कृषि उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्म, प्रोसेसर्स, थोक और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ता है। इसके साथ किसानों को क्वालिटी वाले बीज की आपूर्ति करना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, कर्ज की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात इस कानून में है।
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से हटाने का प्रावधान है। सरकार के मुताबिक, इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी, क्योंकि बाजार में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा।
दिवाली पर 100 करोड़ वैक्सीनेशन पर बधाई दी थी
कोरोना काल के 20 महीने में मोदी 10 बार राष्ट्र को संबोधित कर चुके हैं। यह इस साल का उनका चौथा संबोधन है। दिवाली से पहले दिए 20 मिनट के संबोधन में मोदी का ज्यादातर फोकस कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज पूरे होने और महामारी से निपटने के तरीकों पर रहा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने एक संदेश भी दिया कि महामारी के वक्त जो सवाल उठे थे, देश ने उनके जवाब दे दिए हैं। साथ ही साथ उन्होंने अर्थव्यवस्था, किसानों और त्योहारों का भी जिक्र किया, तो मास्क को लेकर नया मंत्र भी दिया।