चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है.. और तूने मुझे बुलाया शेरावालिए.. जैसे मशहूर भजनों से माता भक्तों के दिलों में अपनी जगह बनाने वाले नरेंद्र चंचल का शुक्रवार को निधन हो गया।
नरेंद्र चंचल (80 साल) लंबे समय से बीमार चल रहे थे और बीते दो माह से दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। शुक्रवार को दोपहर करीब 12:15 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
अमृतसर के एक पंजाबी परिवार में 16 अक्टूबर 1940 को जन्में नरेंद्र चंचल ने बचपन से ही मां को देवी के भजन गाते हुए सुना था। पिता चेतराम खरबंदा और माता कैलाशवती के घर जन्मे चंचल को भी संगीत में रुचि होने लगी। चंचल ने प्रेम त्रिखा से संगीत सीखा और भजन गाने लगे।
भजन सम्राट कहे जाने वाले नरेंद्र चंचल ने कई प्रसिद्ध भजनों के साथ हिंदी फिल्मों में भी गाने गाए। उन्होंने न सिर्फ शास्त्रीय संगीत में अपना नाम कमाया, बल्कि लोक संगीत में भी लोगों का दिल जीता।
चलो बुलावा आया है हो या ओ जंगल के राजा मेरी मैया को लेके आजा जैसे भजन नरेंद्र चंचल की सुरीली आवाज में ही थे। आज भी माता की चौकी और जगराता में उनके भजन गाए बिना अधूरा सा लगता है।