कोरोना पर तबलीगी जमात से जुड़े मीडिया द्वारा फलाये गये फेक न्यूज़ के मामले में केंद्र के जवाब पर नाखुशी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है कि, सरकार फेक न्यूज़ रोकने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करें वर्ना यह काम किसी बाहरी एजेंसी को दे दिया जायेगा।
CJI SA Bobde led bench hears the case against communal reporting of the #TablighiJamaat incident
CJI:We are not happy with the reply of the Centre. You have not dealt with the applicability of the Cable Television Networks Act and the legal regime concerning this#SupremeCourt pic.twitter.com/vXM6awuq1D
— Bar and Bench (@barandbench) November 17, 2020
आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने सोलिसिटर जनरल को फटकार लगाते हुए कहा कि, सरकार ने इस मामले पर गंभीरता से कदम नहीं उठाया है, न ही संतोषजनक जवाब दिया है।
प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘पहले तो आपने उचित हलफनामा दाखिल नहीं किया और अब आपने ऐसा हलफनामा पेश किया जिसमें दो महत्वपूर्ण सवालों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। यह कोई तरीका नहीं है।’ शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हम आपके जवाब से संतुष्ट नहीं है।’ न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमयण्म भी इस पीठ का हिस्सा थे।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने केंद्र के जवाब पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘कोर्ट केंद्र के जवाब से खुश नहीं है। इसमें वह हिस्सा ही नहीं है, जिससे यह पता चले कि केंद्र के पास केबल टीवी नेटवर्क एक्ट के तहत क्या शक्तियां हैं, जिनसे ऐसी शिकायतों पर ध्यान दिया जा सके। केंद्र स्पष्ट करे कि किस तरह से इस एक्ट का इस्तेमाल केबल टीवी नेटवर्क के कंटेंट को नियंत्रित करने में किया जा सकता है।’
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘आपका एफिडेविट इस मसले पर पूरी तरह से चुप है। दूसरा मसला यह है कि आपने ऐसी शिकायतों को सुलझाने के लिए कौन से कदम उठाए हैं। मैकेनिज्म क्या है, इस पर भी आपके एफिडेविट में कुछ नहीं है। कृपया दोबारा जो एफिडेविट दें, उसमें ये सारी चीजें बताएं।’
कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन (NBSA) या दूसरों को क्यों भेजें, जब केंद्र के पास इसे देखने का अधिकार है। अगर ऐसा कोई अधिकार अस्तित्व में नहीं है तो आप उसे अस्तित्व में लाएं। नहीं तो हम ये मामला दूसरी बाहरी एजेंसी को दे देंगे।
कोर्ट ने कहा कि केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट के तहत आपके पास अभी क्या मैकेनिज्म है और तीन हफ्तों में बताएं फेक न्यूज के खिलाफ आप इस एक्ट के तहत क्या कदम उठा सकते हैं।