नई दिल्ली। उत्तराखंड के हल्द्वानी में प्रदर्शन कर रहे हज़ारों लोगों को सुप्रीम कोर्ट की ओर से बड़ी राहत मिली है। यहां रेलवे की ज़मीन के अतिक्रमण कर रह रहे लोगो के घरों पर फिलहाल बुलडोजर नहीं चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इन अतिक्रमणों को हटाए जाने के निर्णय पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किये हैं और रेलवे और उत्तराखंड सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने कहा है कि आप सिर्फ 7 दिनों में जगह खाली करने के लिए कैसे कह सकते हैं? इस मामले में कोई प्रैक्टिकल समाधान ढूंढना होगा क्योंकि समाधान का ये यह तरीका नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि जमीन की प्रकृति, अधिकारों की प्रकृति, मालिकाना हक की प्रकृति आदि से उत्पन्न होने वाले कई बिंदू हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए। यहां इस ज़मीन पर कोर्ट ने आगे होने वाले निर्माणों पर रोक लगा दी है। इस मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।
हम जीत गए ! हल्द्वानी में मज़लूमों का आशियाना नहीं उजड़ेगा सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगायी ! मुबारक हो ! @ShayarImran बहुत बहुत बधाई और मुबारक बाद अलाहः आपकी जिंदगी तंदुरुस्ती सेहत अता फरमाए भाई 👍 #Haldwani जीत मुबारक हो pic.twitter.com/YTb90P7I2B
— Parvej Zaikar (@parvejzaikar1) January 5, 2023
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट की सबसे ज्यादा नाराजगी इसी बिंदु पर थी कि सरकार और रेलवे ने केवल सात दिनों के अंदर 4 हजार से अधिक लोगों को मौके से हटने के लिए कहा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच को मामले की पेचीदिगियों की के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बारे में बताते हुए कहा कि ये अभी भी साफ नहीं है कि ये जमीन रेलवे की है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में भी कहा गया है कि ये राज्य सरकार की जमीन है। इस फैसले से हजारों लोग प्रभावित होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट से पूछा है कि इस इलाके में लोग पचास साल से भी ज्यादा समय से रह रहे हैं उनके पुनर्वास के लिए कोई काम क्यों नहीं किया गया है।
SC stayed the proposed eviction & demotion at #Haldwani till further orders. SC tells the Railways that the issue should be handled from a humane angle. It also expresses displeasure at the HC's direction asking for the use of paramilitary forces to dispossess the occupants. pic.twitter.com/BCIHnfkUBr
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) January 5, 2023
उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी में जिस जमीन पर अतिक्रमण का यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है वहां 4365 अवैध निर्माण चिन्हित किये गए हैं। दशकों से लोग वहां बसते रहे हैं और कुछ लोग तो 1947 के आसपास के भी बताए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रेलव की ओर से पहुंचे वकील एश्वर्या भाटी से पूछा कि क्या रेलवे और राज्य सरकार के बीच जमीन डिमार्केशन हुई है? इस पर वकील ने जवाब दिया कि कहा कि रेलवे के स्पेशल एक्ट के तहत हाईकोर्ट ने कार्रवाई करके अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हालांकि कुछ अपील पेंडिंग हैं, लेकिन इनमें से किसी भी मामले में कोई रोक नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप अतिक्रमण हटाने के लिए केवल सात दिनों का समय कैसे दे रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यह एक मानवीय विषय है।
इलाके में जिन लोगों को हटाया जा रहा है वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस इलाके में बड़े पैमाने पर लोगो की दो किमी लंबी जमीन पर बसाहट है। यह जमीन रेलवे स्टेशन से लगी हुई है। यहां हजारों घरों के अलावा सरकारी स्कूल, बैंक, बाज़ार, ओवरहैड टैंक, मंदिर और मस्जिद हैं। 20 दिसंबर को यहां मकान खाली करने के लिए नोटिस जारी किए गए और जिला प्रशासन ने लोगों से नौ जनवरी तक अपना सामान ले जाने को कहा है।