भोपाल। मध्यप्रदेश के 9 जिलों में राजनीतिक रैलियों को प्रतिबंधित करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ भाजपा के बाद अब चुनाव आयोग भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहा है।
चुनाव आयोग का मानना है कि हाईकोर्ट का आदेश चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है। चुनाव कराना उसका काम है। इस आदेश से मतदान प्रक्रिया बाधित होगी।
भाजपा की ओर से उपचुनाव लड़ने वाले दो उम्मीदवार पहले ही रैलियों पर रोक को लेकर कोर्ट जा चुके हैं। गुरुवार को मध्यप्रदेश सरकार ने भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि वे अदालत के फैसले का आदर करते हैं इसलिए अशोकनगर के लोगों से माफी मांगते हैं कि उन्हें दो राजनीतिक रैलियों को रद्द करना पड़ रहा है।
चौहान ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, क्योंकि यह एक ही भूमि में दो कानून होने जैसा है।
इससे दो दिन पहले जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि राजनीतिक दलों को वर्चुअल माध्यमों का इस्तेमाल करना चाहिए। वर्चुअल माध्यम से सभा नहीं हो पाने की स्थिति में रैली की अनुमति दी जाएगी।
इसके लिए भी पहले हाईकोर्ट की अनुमति जरूरी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि रैली की अनुमति तभी मिलेगी जब जब पार्टी या उम्मीदवार जिला मजिस्ट्रेट के पास निर्धारित धनराशि जमा करेंगे। प्रतिभागियों के लिए आवश्यक संख्या में मास्क और सैनिटाइजर रखना भी अनिवार्य है।