भारतीय चाय के स्वाद को ग्लोबल ब्रांड बनाने की हो रही है कोशिश


बेहतर मूल्य प्राप्ति और सूचना के मामले में छोटे चाय उत्पादकों की सहायता के लिए एक मोबाइल ऐप “चाय सहयोग” भी विकसित किया जा रहा है।


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indian tea darjiling

नई दिल्ली। भारत ने भारतीय चाय उत्पादन को बढ़ावा देने और उत्‍कृष्‍ट ब्रांड का निर्माण करने और चाय उद्योग से जुड़े परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

भारत लगभग 1350 मिलियन किलोग्राम उत्पादन के साथ दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक और सबसे बड़ा काली चाय उत्पादक देश है साथ ही घरेलू आवश्यकताओं और निर्यात दायित्वों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर है।

भारत काली चाय का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और विश्व की कुल चाय खपत का लगभग 18 प्रतिशत उपभोग करता है।

भारतीय चाय को विभिन्न गंतव्यों देशों में निर्यात किया जाता है और यह बड़ी संख्या में घरेलू उपभोक्ताओं की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के अतिरिक्‍त चाय का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है।

चालू वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर, 2022 तक, चाय निर्यात ने 641.34 मिलियन डालर के मूल्य प्राप्ति के साथ 188.76 मिलियन किलोग्राम मात्रा दर्ज की, मात्रा में 33.37 मिलियन किलोग्राम की वृद्धि (21.47 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि) और मूल्य में 70.93 मिलियन डालर (12.43 प्रतिशत वृद्धि वर्ष दर वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई।

दार्जिलिंग चाय भारत के प्रतिष्ठित उत्पादों में से एक –

दार्जिलिंग चाय भारत के प्रतिष्ठित उत्पादों में से एक है जो पहला जीआई पंजीकृत है। यह दार्जिलिंग जिले के पर्वतीय क्षेत्र में 87 चाय बागानों में फैला हुआ है।

चाय बागानों में 70 प्रतिशत से अधिक झाड़ियाँ 50 वर्ष से अधिक पुरानी हैं और इस प्रकार उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। वर्तमान में दार्जिलिंग चाय का उत्पादन 6-7 एम कि.ग्रा. की सीमा में है।

श्रमिकों को मिल रहा रोजगार –

भारतीय चाय उद्योग में प्रत्यक्ष रूप से 1.16 मिलियन श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है और समान संख्‍या में लोग इससे अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। छोटे चाय उत्पादक उभरते हुए क्षेत्र हैं जो कुल उत्पादन में लगभग 52 प्रतिशत का योगदान देते हैं। वर्तमान में, आपूर्ति श्रृंखला में लगभग 2.30 लाख छोटे चाय उत्पादक मौजूद हैं।

केंद्र सरकार की पहल –

भारतीय चाय को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कई कारगर उपाय कर रही है। चाय बोर्ड के माध्यम से केंद्र सरकार ने 352 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), 440 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और 17 किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) के निर्माण में सहायता की थी।

इसके अलावा प्रूनिंग मशीन और मैकेनिकल हार्वेस्टर की खरीद के लिए लोगों की सहायता कर रही है साथ ही चाय बोर्ड ने विनिर्माताओं और उत्पादकों के बीच आपूर्ति की जाने वाली हरी पत्तियों की कीमत के निर्धारण के लिए मूल्‍य साझाकरण फॉर्मूले के लिए एक निविदा जारी की है जिसमें वैज्ञानिक तरीके से बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

वहीं बेहतर मूल्य प्राप्ति और सूचना के मामले में छोटे चाय उत्पादकों की सहायता के लिए एक मोबाइल ऐप “चाय सहयोग” भी विकसित किया जा रहा है।


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